निकाय चुनावों पर अधिसूचना जारी करने पर रोक, गुरुवार को भी जारी रहेगी सुनवाई
लखनऊ : निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल जनहित याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई. हालांकि समय की कमी के चलते सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. फिलहाल कल भी सुनवाई जारी रहेगी. इसी के साथ न्यायालय ने निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने पर लगाई गई रोक को भी कल तक के लिए बढ़ा दिया है. बुधवार को लगभग 2:45 बजे से शुरू हुई बहस के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है. इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है. लिहाजा ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पूर्व सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है.
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव (Justice Devendra Kumar Upadhyay and Justice Saurabh Srivastava) की खंडपीठ ने 12 दिसंबर को निकाय चुनावों की अधिसूचना (Notification of Municipal Elections) जारी करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी. पहले यह रोक मंगलवार तक के लिए प्रभावी थी. याची वैभव पांडेय (Petitioner Vaibhav Pandey) व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिकाएं दखिल की गई हैं. कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनावों से पहले ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट फार्मूला अपनाने की बात कही है, लेकिन बिना ट्रिपल टेस्ट किए सरकार ने रैपिड टेस्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण तय कर दिया जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध है. इस पर राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही और अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता अमिताभ राय ने पक्ष रखा था कि 5 दिसंबर 2022 को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में सीटों का आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है.
इस पर न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के सम्बंधित निर्णय व संविधान का अनुच्छेद 16 (4) पढ़ने को कहा था. साथ ही न्यायालय ने कहा था कि न सिर्फ शीर्ष अदालत का निर्णय बल्कि संविधान की भी यही व्यवस्था है कि ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले पिछड़ेपन का अध्ययन किया जाए. न्यायालय ने सरकार को यह भी ताकीद किया है कि अध्ययन का अर्थ रैपिड सर्वे नहीं होना चाहिए. उल्लेखनीय है कि वर्तमान याचिका में सर्वोच्च न्यायालय के सुरेश महाजन मामले के निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाना चाहिए. जबकि इसके बिना 5 दिसंबर 2022 को सरकार ने निकाय चुनावों के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया. याचिका पर सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने उक्त ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के साथ-साथ चुनाव की अधिसूचना जारी की जाने पर भी रोक लगा दी थी. वहीं राज्य सरकार की ओर से रैपिड टेस्ट करा लिए जाने की बात कही जा रही है. जिसके आधार पर ओबीसी आरक्षण तय किया गया है. साथ ही तर्क दिया जा रहा है कि याचिकाएं पोषणीय नहीं हैं. याचियों को आरक्षण पर कोई आपत्ति है तो वे प्रत्यावेदन देकर अपनी बात रख सकते हैं. बहरहाल इस मामले में जल्द सुनवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाईकोर्ट में 24 दिसंबर से शीतकालीन अवकाश हो रहा है. अवकाश के पश्चात कोर्ट नए वर्ष में 2 जनवरी को ही खुलेगा.