दर्द भी हिस्सा है ज़िन्दा दिली का, इसे सब पें ऐसे न बहाया करो
( दिनेश प्रसाद सिन्हा साउथ अफ्रीका से)
साहित्य।
अश्क चक्षु से ऐसे न बहाया करो।
दरिया के मोती ऐसे न लुटाया करो।।
दर्द भी हिस्सा है ज़िन्दा दिली का।
इसे सब पें ऐसे न बहाया करो।।
जज़्बात खिलौना उनके के लिए।
जिगर निकाल ऐसे न दिखाया करो।।
न जाने कब चाक चाक गीरेबा हो जाये।
रह चलते ऐसे न गले लगाया करो ।।
चुराकर फलक पे ले जाएं न सितारे तुझे।
सरे राह चाँदनी से ऐसे न नहाया करो।।
राख सोना बना दे वो पारस हो तुम ।
इनायतें सरे राह सर्वत्र न सजाया करो।।