गन्ने को लाल सड़न बीमारी से बचाने खेतों में पहुंचे सेकसरिया चीनी मिल बिसवां के अधिकारी
सीतापुर। किसानों के खेतों में लहलहाती गन्ने की जीरो 238 प्रजाति की फसल जो क्षेत्र में अपने सर्वाधिक उत्पादन के लिए जानी जाती है. इधर कुछ वर्षों में गन्ने की यह लाभकारी प्रजाति लाल सड़न बीमारी से प्रभावित हो रही है. ऐसे में गन्ना किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
गन्ना किसानों की पहली पसंद बनी गन्ने की जीरो 238 प्रजाति को लाल सड़न बीमारी से बचाने के लिए सेकसरिया चीनी मिल बिसवां के अधिकारी किसानों के खेतों तक पहुंच कर उन्हें ट्राइकोडरमा के साथ ही गाय के गोबर और मूत्र से बने जीवामृत के उपयोग की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि इससे उनकी गन्ने की फसल का तमाम रोगों से बचाव तो होगा ही, इसके साथ ही उन्हें भरपूर उपज भी मिलेगी.
सेकसरिया चीनी मिल बिसवां के सलाहकार डॉ राम कुशल सिंह ने गन्ना किसानों को बताया कि ट्राइकोडरमा के उपयोग से पौधा व पेंडी गन्ने की उपज में वृद्धि के साथ ही सभी बीमारियों से फसलों को बचाने में सहायता मिलती है. खेत में पड़े जैविक अपशिष्ट जैसे कि सूखी पत्तियाँ, फसल अवशेष, गोबर आदि ट्राइकोडरमा के उपयोग से सड़कर जैविक खाद में बदल जाते हैं. इससे मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है.
इस अवसर पर सेकसरिया चीनी मिल बिसवां के अधिकारी डॉ अजय बालियान,विमल मिश्रा के साथ गन्ना किसान रामखेलावन गौड़, कृपा शंकर वर्मा,आशीष मिश्रा,शालिक राम गौड़, इंद्रपाल वर्मा,जितेंद्र सिंह, संदीप सिंह,गुरदीप सिंह, बलभद्र सिंह,मनदीप सिंह,सरवन गिरी,अरुण कुमार,राजेश कुमार, संदीप मिश्रा,सौरभ मिश्रा, श्यामसुंदर,अभिषेक वर्मा, श्री राम भारती,विनोद वर्मा आदि मौजूद रहे.