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सीतापुरस्वास्थ्य

टीबी क्लीनिक पर निक्षय मित्रों ने 64 टीबी मरीजों को लिया गोद

 

सीतापुर। जिला क्षय रोग केंद्र (टीबी क्लीनिक) पर शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में 64 टीबी मरीजों को गोद लिया गया। इस मौके पर एसीएमओ व जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एसके शाही की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी भी हुई.

उन्होंने कहा कि क्षय रोग घातक है, परन्तु इसका इलाज है. उन्होंने टीबी के मरीजों व उनके अभिभावकों से अपील की है कि अस्पताल से मिलने वाली दवा मरीज नियमित रूप से खाएं। साथ ही मरीज को पौष्टिक आहार नियमित रूप से दिया जाना भी उसके लिये लाभप्रद होगा। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों को गोद लेने वालों को निक्षय मित्र कहा जाता है और राज्यपाल द्वारा सर्वश्रेष्ठ निक्षय मित्र को सम्मानित भी किया जाना है.
गोष्ठी में डॉ. श्याम सुंदर ने कहा कि पूर्व मे टीबी रोगियों का इलाज बहुत महंगा था और बिना सुपरविजन से मरीज दवा लेना बीच में ही छोड़ दिया करते थे.

 

इसीलिए सीधी देखरेख में डॉट्स पद्धति की दवा खिलाने की व्यवस्था भारत सरकार ने की थी। इसे संशोधित करते हुए वर्तमान समय में डेली रेजिमिन औषधि प्रदान की जा रही है। इलाज के दौरान हर मरीज को निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए प्रतिमाह उन्हें दिए जाते हैं.
क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समंवयक आशीष दीक्षित ने बताया कि एक बलगम धनात्मक क्षय रोगी वर्ष मे 10-15 व्यक्तियों को क्षय रोग से ग्रसित कर सकता है.

टीबी के लक्षण जैसे दो हफ्ते से अधिक खाँसी, लगातार बुखार रहना, वजन घटना, सीने मे दर्द, बलगम में खून, रात में अत्यधिक पसीना आना आदि लक्षण पाये जाने पर बलगम की जांच करने की सुविधा सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित कुल 42 माइक्रोस्कोपिक केन्द्रों पर पूर्णतया निःशुल्क उपलब्ध है.  जनपद में एमडीआर मरीजों की पहचान हेतु वर्तमान में तीन सीबीनॉट साइट तथा 13 ट्रूनॉट साइटें क्रियाशील हैं. इस मौके पर विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों और राजनीति दल के द्वारा टीबी मरीजों को गोद लिया गया. कार्यक्रम में आशीष टंडन, अभिषेक दीक्षित, पंकज श्रीवास्तव, सचिन त्रिपाठी आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे.

मिश्रिख में 120 मरीज लिए गए गोद

मिश्रिख सीएचसी पर आयोजित एक कार्यक्रम में भी निक्षय मित्रों द्वारा 120 टीबी मरीजों को गोद लिया गया। इस मौके पर सीएचसी अधीक्षक डॉ. आशीष सिंह ने बताया कि भारत सरकार की ओर से 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने की योजना है. उन्होंने बताया कि क्षय रोग को तपेदिक या टीबी भी कहा जाता है. इसे प्रारंभिक अवस्था में ही नहीं रोका गया तो यह जानलेवा साबित हो जाता है। समय से इलाज शुरू नहीं होने पर यह बीमारी व्यक्ति को धीरे-धीरे मारती है. इसलिए लक्षण महसूस होते ही इलाज शुरू हो जाना चाहिए। टीबी चिकित्साधिकारी डॉ. आनंद मौर्या ने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि क्षय रोगियों की दवा और जांच नियमित रूप चलती रहे। साथ ही टीबी मरीजों को हर महीने मूंगफली, चना, गुड़, सत्तू, सोयाबीन, समेत न्यूट्रिशिनल सप्लीमेंट मिलता रहे.

सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर साधना पुष्कर ने कहा कि क्षय रोग एक गंभीर समस्या है लेकिन अब इस इलाज उपलब्ध है. इससे अब डरने की जरूरत नहीं है. समय से उपचार हो जाने पर यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है. उन्होंने कहा कि यदि आपमें या आसपास के किसी व्यक्ति में टीबी का कोई लक्षण नजर आता है तो तत्काल बलगम की जांच कराएं. इस मौके पर डॉ. राखी शुक्ला, डॉ. अंबालिका, नीरज वर्मा, अंबरीश दीक्षित, लक्ष्मी गुप्ता आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।.

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