Surya Satta
सीतापुर

प्लाईवुड फैक्ट्री में लगी भीषड़ आग, लोगों की सूझबूझ से भारी नुकसान होने से बचा  

 सीतापुर। प्लाईवुड फैक्ट्री के चैम्बर में लगी भीषण आग पर फैक्ट्री मैनेजर,मजदूरों और ग्रामीणों की सूझबूझ से काबू पा लिया गया वरना फैक्ट्री में भीषड़ तबाही मच सकती थी. तीन जगहों से आईं फायर बिग्रेड की गाड़ियों ने भी आग बुझाने में ताकत झोंकी।इतना ही नहीं सदरपुर पुलिस भी आग बुझाने में फायरविग्रेड का साथ दिया और आग बुझाने में लगे रहे. लगभग दो घण्टों बाद आग पर काबू पाया गया तब तक फैक्ट्री में अफरातफरी का माहौल रहा.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सदरपुर थाना क्षेत्र अन्तर्गत जहांगीराबाद कस्बे में स्थित सबसे पुरानी उस्मान प्लाईवुड इण्डस्ट्रीज में शनिवार दोपहर लगभग 12:45 बजे लकड़ी सुखाने के लिये बने चैम्बर में अचानक धुआं निकलने लगा. धुआं निकलते देख पूरी फैक्ट्री में अफरा तफरी मच गयी. जिस समय आग लगी उस समय काफी संख्या में मजदूर फैक्ट्री में काम कर रहे थे. जैसे ही चैम्बर में आग लगी वैसे ही फैक्ट्री मैनेजर ने बिजली की सप्लाई बंद कर फैक्ट्री के सभी गेट खुलवा दिये.
उसके बाद फैक्ट्री में मौजूद फायर ब्रिगेड की सुविधा से आग पर काबू पाना शूरू किया. इतने में ही खबर मिलते ही दर्जनों ग्रामीण तथा अन्य प्लाईवुड के मालिक व कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गये और आग बुझाने में सहयोग करने लगे. 100 डायल पुलिस भी मौके पर पहुंची तथा  बिसवां फायरविग्रेड को फोन द्वारा सूचना दी गई.
बिसवां फायरविग्रेड वाले जबतक पहुंचते उससे पहले ही उन्होंने ने ही फोन कर रेउसा से छोटी फायरविग्रेड की गाड़ी भेजवा दी.थोड़ी देर बाद ही बिसवां से फायरविग्रेड की गाड़ी ने भी आग बुझाना शुरू किया.देबियापुर पुलिस चौकी के सभी जवानों ने भी फायरविग्रेड वालों के साथ आग बुझाई.ग्रामीणों, मजदूरों तथा फायरविग्रेड व पुलिस के जवानों के अथक प्रयासों से लगभग दो घण्टों के बाद आग पर काबू पा लिया गया.
फैक्ट्री मालिक हाजी मोहम्मद उस्मान के पुत्रों मोहम्मद इरफान, मोहम्मद इकराम, मोहम्मद इमरान और मोहम्मद सुहैल ने संयुक्त रूप से बताया कि प्लाईवुड फैक्ट्री में प्लाई व प्लाईबोर्ड बनाने का काम होता है जिसमें प्लाईबोर्ड बनाने के लिये पहले पापुलर लकड़ी की फंटियों को सुखाया जाता है जिसके लिये लकड़ी की फंटियों को सीमेंटेड बड़े कमरानुमा बने चैम्बर में डालकर स्टील के बने दरवाजों को दोनों ओर से बंद कर दिया जाता है फिर पाइप लाइन के द्वारा उसके अन्दर लगे बड़े बड़े क्वायलों को स्टीम के द्वारा गर्म किया जाता है तथा अंदर ही लगे पंखों से हवा दी जाती है जो लकड़ी को सुखाने में मदद करते हैं. यह पूरी प्रक्रिया लगभग 72 घण्टों में पूरी होती है.
मोहम्मद इकराम ने बताया अभी इस चैम्बर को बंद किये मात्र 24 घंटों का ही समय हुआ था लेकिन बाहर का तापमान बहुत अधिक होने से अंदर अधिक ताप से आग लग गयी. नुकसान के बारे में पूछने पर सुहैल ने बताया कि अभी पूरी तरह से चैम्बर खाली कर जब देखा जायेगा तभी अनुमानित नुकसान के बारे में पता चल सकेगा.
  फायरब्रिगेड के साथ आये एस.आई. आदित्य कुमार सिंह, एस.आई. नन्द किशोर तथा आरक्षी विकास आदि सभी ने बहुत परिश्रम से तुरन्त आग पर काबू पा लिया नहीं तो चैम्बर फटने पर फैक्ट्री में भीषड़ हादसा हो सकता था. फायरविग्रेड के जवानों ने पास स्थित खेत पर बनी बोरिंग से पानी खींचा. सभी की सूझबूझ से भारी नुकसान होने से बच गया.

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