फाइलेरिया से जुड़ी भ्रांति, बीमारी के प्रबंधन व दवा के प्रति किया जागरूक
सीतापुर। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान और पाथ संस्था के सहयोग से सीएमओ कार्यालय के सभागार में फाइलेरिया को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई. इस मौके पर फाइलेरिया मरीजों को मोरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसएबलिटीज प्रीवेंशन (एमएमडीपी) किट का भी वितरण किया गया.

सीएमओ डॉ. मधु गैरोला ने कार्यशाला में मौजूद मरीजों को एमएमडीपी किट प्रदान की. सीएमओ ने बताया कि जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया ग्रस्त अंगों से पानी का रिसाव होता है. इस स्थिति में उनके प्रभावित अंगों की सफाई बेहद आवश्यक है. इसलिए चिन्हित मरीजों को फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत एमएमडीपी किट मुहैया कराई जा रही है। इस किट में टब, मग, तौलिया, साबुन आदि शामिल हैं. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ-सफाई रखने से संक्रमण का खतरा बढ़ने एवं अन्य बीमारियों के होने की संभावनाएं कम होती हैं.
पाथ संस्था की आरएनडीटीओ डॉ. आयशा आलम ने कहा कि फाइलेरिया से बचने के लिए सभी लोग साल में एक बार दवा जरूर खाएं.
उन्होंने विस्तार से समझाया कि फाइलेरिया एक परजीवी रोग है. जब क्यूलेक्स ग्रुप की मादा मच्छर फाइलेरिया ग्रस्त व्यक्ति का रक्त चूसने के बाद किसी स्वस्थ मनुष्य का रक्त चूसती है तो उस व्यक्ति में भी इस रोग का संक्रमण हो जाता है. यह रोग शरीर के किसी भी भाग में सूजन, हाइड्रोसील तथा हाथीपांव के रूप में प्रकट होता है. फाइलेरिया रोग शरीर के लटकने वाले अंगों हाथ, पैर, पुरुष जननांग और महिलाओं के स्तन में सूजन के रूप में को प्रभावित करता है. उन्होंने रोगियों को शारीरिक व्यायाम, लेटने की स्थिति, प्रभावित अंग की देखभाल करने तथा एमएमडीपी किट के प्रयोग और फाइलेरिया ग्रस्त अंगों की किस तरह से साफ-सफाई करनी है, इसके बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह लाइलाज बीमारी है, एक बार बीमारी हो जाने पर जिंदगी भर इसके साथ ही जीना पड़ता है. इसलिए फाइलेरिया के रोगी को हमें मानसिक सांत्वना देने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से होने वाले हाइड्रोसील का इलाज संभव है. इसके मुफ्त ऑपरेशन की सुविधा जिला अस्पताल एवं सीएचसी पर उपलब्ध है.
पाथ संस्था के सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. शोएब अनवर ने बताया कि फाइलेरिया के लक्षण तुरंत नज़र नहीं आते हैं. इसके लक्षण आने में कई साल लग जाते हैं. इसलिए फाइलेरिया का बचाव ही इसका सफल उपचार है. इसके लिए जरूरी है कि साल में एक बार चलाये जाने वाले आईडीए/एमडीए राउंड में फाइलेरिया से बचाव की खुराक का जरूर सेवन करें. यह दवा खाने से जिन लोगों में इस रोग के कृमि (माइक्रो फाइलेरिया) नहीं होते उन्हें कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है. इसमें यह कृमि मौजूद होते हैं, उन्हें बुखार, खुजली, उल्टी जैसे लक्षण हो सकते हैं. इससे घबराने की बात नहीं है। कुछ ही देर में यह ठीक भी हो जाते हैं. कार्यशाला में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के नोडल एवं डिप्टी सीएमओ डॉ. राजेशखर, एएमओ मंजूषा गुप्ता, अर्चना मिश्रा सहित सभी सीएचसी अधीक्षकों एवं सीफार के प्रतिनिधियों ने हिस्सा किया.
क्या कहते हैं मरीज
फाइलेरिया ग्रसित राजकिशोर ने बताया कि आज अपने फाइलेरिया ग्रसित पैर की साफ-सफाई के बारे में जानकारी मिली है. मैं डॉक्टर के बताए अनुसार रोजना दिन में दो बार अपने पैरों की सफाई करूंगी. उन्होंने बताया कि बाल्टी, जग, टब, दवा, तौलिया आदि सामान मिला है. पैर धोकर पोछने और दवा के सेवन की जानकारी मिली। यह भी बताया गया कि घर के आसपास साफ सफाई रखनी है। मच्छरदानी का प्रयोग करना है.