Surya Satta
उत्तर प्रदेशलखनऊ

एकीकृत न्यायालय परिसरों से सुनिश्चित होगी सुविधा, सरलता और न्यायिक समयबद्धता: मुख्यमंत्री

 

लखनऊ : यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रस्तावित एकीकृत न्यायालय परिसर के प्रारूप के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.

■ सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है. अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की व्यवस्था है. वर्तमान में जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं।एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है. सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं. इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं.

■ आम जन की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों ऐसे एकीकृत न्यायालय परिसरों का विकास किया जाना है. अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए ₹400 करोड़ की व्यवस्था भी की गई है.

■ एकीकृत न्यायालय परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे. यहां न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पार्किंग और फ़ूड प्लाजा भी हो.

■ कोर्ट परिसर की डिजाइन ऐसी हो, जिससे आम आदमी उसमें सहजता के साथ अपने कार्यों का निष्पादन करा सके. डिजाइन सस्ता, सहज एवं सुलभ योजना के अनुसार किया जाना चाहिए. कोर्ट बिल्डिंग इस प्रकार से डिज़ाइन की जानी चाहिए कि उसमें रख-रखाव सम्बन्धी कम से खर्च न्यूनतम हो. एक कोर्ट की आवाज दूसरे कोर्ट में न जाये, इसका विशेष ध्यान रखा जाए.

■ भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों पराधारित न्याय तंत्र की प्राचीन परंपरा है। सभी न्यायालय परिसर में एक विशिष्ट कॉरीडोर का निर्माण कराया जाए, जहाँ आमजन भारत की इन प्राचीन विशिष्टता से सुपरिचित हो सकें. कॉरीडोर में भारतीय संविधान में की विशिष्टताओं, मूल अधिकारों, कर्तव्यों, विविध अनुच्छेदों का प्रभावी प्रस्तुतिकरण किया जाना चाहिए.

 

■ सभी भवनों की डिजाइन डिज़ाईन अधिकतम FAR एवं कम से कम ग्राउण्ड एरिया कवरेज के आधार पर किया जाना चाहिए. भूआच्छादन 7 प्रतिशत एवं FAR 0.72 लिया जा सकता है, जिससे कि भविष्य में बिल्डिंग एक्सपेंशन सुगमता से किया जा सके.

■ कोर्ट बिल्डिंग परिसर एवं आवासीय परिसर अलग-अलग हों एवं आवासीय परिसर के बीच में गेटेड बाउण्ड्रीवॉल दिया जाना उचित होगा. कोर्ट रूम सहित पूरा परिसर में सीसीटीवी कैमरों की सतत निगरानी होनी चाहिये. न्यायिक अधिकारी, एडवोकेट एवं प्रतिवादी के लिए अलग-अलग कैंटीन का प्रावधान किया जाना चाहिए.

■ कोर्ट भवन के परिसर में हरिशंकर, मौलश्री, कदम, सीता अशोक एवं नीम के छायादार वृक्षों का पौधारोपण किया जाना चाहिए तथा बाउण्ड्रीवाल के किनारे डैन्स पौधों को लगाया जाए, ताकि वायु प्रदूषण से परिसर प्रभावित न हो.

Leave a Reply

You cannot copy content of this page