Surya Satta
सीतापुर

अभियान चलाकार अल्ट्रासाउंड केन्द्रों का शुरू हुआ निरीक्षण  

सीतापुर। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार द्वारा गठित पीसी पीएनडीटी एक्ट (प्रसव पूर्व निदान तकनीक विनियमन एवं दुरुपयोग अधिनियम 1994) के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान एक्ट को लेकर गठित राज्य समुचित प्राधिकरण की अध्यक्ष डॉ. लिली सिंह के निर्देश पर चलाया जा रहा है. अभियान को 25 जून से नौ जुलाई के मध्य संचालित किया जाना है. इस संबंध में उन्होंने सूबे के सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखा है. अभियान के दौरान जिले में संचालित अल्ट्रासाउंड केन्द्रों का आकस्मिक निरीक्षण किया जाएगा. किसी भी केंद्र पर कोई अनियमितता पाए जाने पर अल्ट्रासाउंड सेंटर के संचालक और वहां पर कार्यरत कर्मियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी.
एसीएमओ और एक्ट अनुपालन के नोडल अधिकारी डॉ. एसके शाही ने बताया कि राज्य समुचित प्राधिकरण की अध्यक्ष का पत्र मिला है, पत्र के अनुरूप तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. औचक निरीक्षण की कार्रवाई भी शुरू की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिले में कुल 47 अल्ट्रासाउंड केंद्र हैं. इस अभियान को लेकर तहसीलवार टीमों का गठन किया गया है. प्रत्येक टीम में एसडीएम, एसीएमओ अथवा डिप्टी सीएमओ और संबंधित चिकित्सा अधीक्षक को शामिल किया गया है. इन टीमों ने अल्ट्रासाउंड केंद्रों का निरीक्षण करना भी शुरू कर दिया है.

अल्टासाउंड सेंटर पर क्या होना चाहिए

राष्ट्रीय निरीक्षण एवं अनुश्रवण कमेटी की सदस्य एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नीलम सिंह ने बताया कि सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर मोटे और साफ अक्षरों में सरल भाषा में लिखा जाना चाहिए कि यहां पर गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग की जांच नहीं होती है. केंद्र पर उसके पंजीकरण प्रमाणपत्र की मूल प्रति लगी हो और एक्ट की एक प्रतिलिपि भी रखी होनी चाहिए. अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर का नाम लिखा हो, साथ ही अल्ट्रासाउंड करते समय उसके एप्रेन पर उसके नाम की भी पट्टी लगी हो.
एक चिकित्सक एक शहर में दो केंद्रों से अधिक केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड नहीं कर सकता है, साथ ही दोनों केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड करने का समय भी लिखा होना चाहिए. इसके अलावा किसी भी गर्भवती का अल्ट्रासाउंड करने से पूर्व उससे फार्म एफ अवश्य भराया जाना चाहिए, और इस फार्म के सभी कॉलम जैसे कि गर्भवती का नाम, पता, उम्र, मोबाइल नंबर, कितने समय का गर्भ है, पूर्व में कितने बेटे और बेटियां हैं पूर्ण होने चाहिए. साथ ही इस फार्म पर गर्भवती के हस्ताक्षर के साथ ही चिकित्सक के हस्ताक्षर और पूरा नाम स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए. इस फार्म के साथ ही अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देने वाले चिकित्सक की रेफरल स्लिप भी होनी चाहिए.

गठित होती है एडवायजरी कमेटी

गर्भस्थ शिशु के लिंग का पता लगाना और बेटी होने पर उसे गर्भ में ही मौत की नींद सुला देने जैसी कुप्रथा पर अंकुश लगाने के लिए एक जनहित याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार द्वारा पीसी पीएनडीटी एक्ट (प्रसव पूर्व निदान तकनीक विनियमन एवं दुरुपयोग अधिनियम 1994) का गठन किया गया है. इस एक्ट के पालन के लिए जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर एडवायजरी कमेटी का गठन किया जाता है.
जिला स्तर पर गठित एडवायजरी कमेटी में कुल आठ लोग होते हैं, इनमें से बाल रोग विशेषज्ञ, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, एनवांटिक रोग विशेषज्ञ अथवा रेडियोलॉजिस्ट, एक शासकीय अधिवक्ता, जिला सूचना अधिकारी और तीन एनजीओ के प्रतिनिधि, जिसमें से एक महिला होना आवश्यक है.

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