हिंदी के बिना हिन्दुस्तान अधूरा : कवि संगम त्रिपाठी हिंदी सेवी
मध्य प्रदेश। आज भी हिंदी अपने देश में अस्तित्व के लिए जूझ रही है बताइए है न आश्चर्य की बात हमारे कुछ कवि मित्र अपने आप को राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय कवि बताने लगे हैं. हिंदी की बात आती है तो मुंह छुपाते है उनसे तो मेरी यही विनती है कि पहले निज भाषा उन्नति पर काम करो और उसे उसका वास्तविक हक व सम्मान दिलाने की बात कहो तभी कविताई सार्थक सिद्ध होगी अन्यथा पोथी लिखने और छपवाने से क्या फायदा जब पाठक ही नही रहेंगे.
हमारे हिंदी समाचार पत्र के प्रतिनिधि धन्य है जो हिंदी का परचम फहराये हुए है।आज पाठकों की कमी से अच्छी-अच्छी पत्रिकाएं बंद हो गई है. लंबे-लंबे लेख कहानी पढ़ने वाले पाठक अब नहीं है. शीर्षक पढ़ ले बहुत भाग्य की बात है कारण सब अंग्रेजी सीखने और सिखाने में लगे हैं क्योंकि हम अपनी भाषा को समृद्ध नहीं कर पाए हैं.
गांधी जयंती 02.10.2022 को राजघाट दिल्ली में आयोजित उपवास को समर्थन प्रदान करें. हम हिंदी के मनीषियों, कवियों व साहित्यकारों को उनकी प्रकाशित कृतियों का पठन पाठन करें व कामकाज में अधिक से अधिक हिंदी को व्यवहार में लाएं तभी हिंदी हिन्दुस्तान में गौरव को प्राप्त करेगी.