परिवार नियोजन के प्रति महिलाओं की बढ़ी दिलचस्पी
सीतापुर। परिवार नियोजन के प्रति महिलाओं की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है. बीते एक साल के शानदार आँकड़े इस बात पर मुहर लगाते हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस उपलब्धि का श्रेय परिवार नियोजन के अस्थायी और स्थायी साधनों की आमजन तक आसान हुई पहुंच को मानते हैं. इसके साथ ही इसका श्रेय परिवार नियोजन के प्रति लोगों में बढ़ती समझ और विभागीय कार्य योजनाओं और परिवार नियोजन काउंसलर की कार्य कुशलता को देते हैं.
सीएमओ डॉ. मधु गैरोला का कहना है कि परिवार नियोजन काउंसलर काे समय-समय पर प्रशिक्षण देकर उन्हें और दक्ष बनाने का काम किया जाता है. इसका लाभ बीते साल मिला है.
क्या कहते हैं बीते साल के आंकड़े
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. एसके शाही ने बताया कि बात अगर वर्ष 2021 की करें तो इस साल कुल 3,229 महिलाओं ने परिवार नियोजन के स्थायी साधन को अपनाते हुए नसबंदी की सेवा प्राप्त की. इसके अलावा परिवार नियोजन के त्रैमासिक गर्भ निरोधक साधन अंतरा इंजेक्शन भी 5,229 महिलाओं ने लगवाया है. दो बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने के लिए पीपीआईयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) महिलाओं के लिए काफी सुरक्षित मानी जाती है. इसे प्रसव के 48 घंटे के अंदर लगाया जाता है. वहीं जरूरत होने पर इसको आसानी से निकलवाया भी जा सकता है. अनचाहे गर्भ से लंबे समय तक मुक्ति चाहने वाली महिलाएं इसे बेहद पसंद करती हैं. बीते वर्ष 13,588 महिलाओं ने इस सेवा का लाभ लिया है. इसके अलावा आईयूसीडी सेवा का लाभ भी 6,834 महिलाओ ने लिया है.
यह है बीते चार साल की प्रगति
परिवार नियोजन विशेषज्ञ जावेद खान ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे – 4 (वर्ष 2015-16) और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे – 5 (वर्ष 2019 20-21) के आंकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन से पता चलता है कि इन चाल सालों की अवधि में परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के मामले में 8.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वर्ष 2015-16 में 42.8 प्रतिशत लोगों तक ही इस तरह की सेवाएं पहुंच पा रहीं थी, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 51.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है.
बीते चार सालों में कंडोम के उपयोगकर्ताओं की संख्या में 5.7 प्रतिशत की बढा़ेतरी हुई है. वर्ष 2015-16 में महज 7.2 प्रतिशत पुरुष ही परिवार नियोजन के इस अस्थायी विधि को अपनाते थे, लेकिन वर्ष 2020-21 में 12.9 फीसद पुरुष कंडोम का प्रयोग करने लगे हैं. गर्भ निरोधक साधनों के रूप में प्रयुक्त की जाने वाली गोलियों की उपयोगकर्ताओं महिलाओं की संख्या में भी 0.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
वर्ष 2015-16 में महज 1.4 प्रतिशत महिलाएं ही इन गोलियों का प्रयोग करती थीं, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है. पीपीआईयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) के आंकड़ों में भी बीते चार सालों में 0.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वर्ष 2015-16 में महज 0.8 प्रतिशत महिलाएं ही परिवार नियोजन की इस अस्थायी विधि को अपनाती थी, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.1 प्रतिशत हो गया है.