सप्त दिवसीय श्री रुद्रमहायज्ञ एवं भक्ति ज्ञान सम्मेलन के मंच का शुभारंभ काव्य अनुष्ठान के साथ प्रारंभ
सीतापुर। छत्रपाल बाबा धाम में सप्त दिवसीय श्री रुद्रमहायज्ञ एवं भक्ति ज्ञान सम्मेलन के मंच का शुभारंभ काव्य अनुष्ठान के साथ प्रारंभ हुआ, कवियों के द्वारा किए गए काव्यपाठ को सुन उपस्थित श्रोताओं खुब तालियां बजाईं।
कवि केदारनाथ शुक्ल ने कहा कि ‘
अंधी आंखों का लक्ष्य सही पूंछों गोरी की छाती से।ऊधम की गोली कहां लगी पूंछों गोरे उत्पाती से। कवियत्री सुमन मिश्र ने कहा कि वाटिका में खड़े थे प्रभु राम जी,देखते थे लता ओट से जानकी
भाव दोनो के मन में प्रबल प्रेम के,राम में खो गई राम की जानकी।
ओज के कवि विनीत तिवारी ने कहा कि रक्षा की सदा उसकी जो शरण में जो भी आया है ,हक के लिए ही अर्जुन धनुष अपना उठाया है ,धर्म रक्षा करने में युद्ध भी पुण्य होता है ,गीता में तो केशव ने यही सबको बताया है। पिंकी प्रजापति ने कहा ओढूं बिछाऊँ जिसको वह पीत हो गये हो ,मैं हार जाऊँ खुद को वह जीत हो गये हो ।
हर एक तार दिल का तुझसे यही कहेगा ,थे अजनबी अभी तक मनमीत हो गये हो। देवेन्द्र कश्यप ‘निडर’ ने पढ़ा उम्मीदों की रेल हमारी ध्वस्त नहीं होने पाये। स्वाभिमान का अपना सूरज अस्त नहीं होने पाये। अब यही प्रार्थना करता हूॅं छत्रपाल बाबा जी से, नेक काम के लिए हौसला पस्त नहीं होने पाये।कार्यक्रम के संयोजक प्रमोद मिश्र ‘पंचमेश’ ने गौमाता के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि ‘बचपन में था दूध पिलाया क्या तुम उसको भूल गये , ब्याज रही है बात दूर की चट कर हो तुम मूल गये , ऐसी बेइमानी करके तुम सीधे पाप कमाओगे , सिर पर रखकर हां हिंदुओं बार – बार पछताओगे। उक्त अवसर पर बच्चा बाजपेई, अवधेश मिश्र , कैलाश यादव, चंद्रशेखर प्रजापति, राजीव बाजपेई, ज्ञान प्रकाश तिवारी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।