Surya Satta
सीतापुर

अवधी का इतिहास साहित्य जगत की अप्रतिम पुस्तक : डॉ. गंगा प्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’

 

सीतापुर। सरलता, सौम्यता और सहजता डा0 श्याम सुन्दर मिश्र ‘मधुप’ के व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण विशेषता थी. उन्होंने अवधी साहित्य का इतिहास जैसी अप्रतिम पुस्तक लिखकर हिन्दी साहित्य की बहुत बड़ी सेवा की है. यह बात स्वामी विवेकानन्द शिक्षा संस्थान के सभागार में आयोजित डा0 श्याम सुन्दर मिश्र ‘मधुप’ के जन्मशताब्दी समारोह में बोलते हुए ‘भाखा’ पत्रिका के संपादक डा. गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’ ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कही.

डा. शर्मा ने कहा कि अवधी साहित्य का इतिहास लिखने जैसा महत्वपूर्ण कार्य करने के बावजूद डा0 मधुप को हिन्दी-क्षेत्र ने उतना सम्मान नहीं दिया, जिसके वे हकदार थे. उन्होंने अवधी के जनकवि एवं व्यंग्यकार डा. सुशील सिद्धार्थ को भी याद करते हुए कहा कि वे मेरे अभिन्न मि़त्र थे और यदि वे आज होते तो अवधी के उन्नयन के लिए और कई प्रयास किए जा सकते थे.

इससे पूर्व कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रेलवे अधिकारी देवेश कुमार सिंह ने मधुप जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों को एक दिवसीय परीक्षाओं की तैयारी किस प्रकार की जाए, इसकी जानकारी दी.


कवि एवं स्वतंत्र पत्रकार अनुराग आग्नेय ने डा0 मधुप से सम्बन्धित कई संस्मरण सुनाये और आधार वक्तव्य देते हुए कहा कि मधुप जी ने कविता को भोगा है और आलोचना को जिया है। उनके जैसा साहित्यकार सीतापुर जनपद में दूसरा नहीं है. अधिवक्ता एवं लेखक अनूप कुमार ने डा. मधुप की सहजता और सादगी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो समुदाय अपनी भाषा और संस्कृति को संरक्षित नहीं कर पाता वह नष्ट हो जाता है. मधुप जी ने अवधी को अपनी आत्मा का आलोक माना.

भाखा पत्रिका के उपसंपादक एवं साहित्यकार देवेन्द्र कश्यप ‘निडर’ ने संचालन करते हुए कहा कि अवधी के उन्नयन में मधुप जी का योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण है. उन्होंने अवधी साहित्य का इतिहास के अतिरिक्त अवधी के अन्य महत्वपूर्ण पक्षों पर कार्य किया है जिसका मूल्यांकन होना अभी शेष है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष मधुप जी के जन्मशती वर्ष के साथ-साथ अवधी के शीर्षस्थानीय कवि एवं साहित्यकार पण्डित बलभद्र प्रसाद दीक्षित का 125 वाँ जन्मवर्ष भी है। भाखा पत्रिका और अन्य सामाजिक-साहित्यिक संगठनों के समन्वय से इस वर्ष कई कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी विवेकानन्द शिक्षा संस्थान के संचालक आर0डी0 वर्मा ने आर.एम.पी. परास्नातक महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते समय डा. मधुप से जुड़े संस्मरण सुनाये और आये हुए अतिथियों का आभार प्रकट किया.
इस मौके पर अनूप राव, अनूप कुमार, प्रवेश कश्यप, विशाल कुमार, कुसमा, रेशमा और मधु सहित अन्य उपस्थित रहे.

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