हिंदी के लिए ऐतिहासिक उपवास दिल्ली में संपन्न, कवि संगम त्रिपाठी ने रच दिया इतिहास
नई दिल्ली। प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा द्वारा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के संकल्प के अभियान के तहत ऐतिहासिक कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित किया गया. अभियान के तहत कवि संगम त्रिपाठी ने सांकेतिक उपवास गांधी जयंती ०२ अक्टूबर २०२२ को रखा व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
राजघाट पर कवि प्रदीप मिश्रा अजनबी, सुधीर सिंह, ब्रम्हानंद तिवारी पुष्पधन्वा, कुमार आलोक ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को पुष्प अर्पित किए.
प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रशासन की व्यवस्था के कारण विचार व काव्य गोष्ठी श्री धर्म प्रकाश वाजपेयी जी के शिक्षण संस्थान करोलबाग नई दिल्ली में आयोजित की गई.
प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा व हिंदी विश्व संस्थान नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु ऐतिहासिक विचार व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ धर्म प्रकाश वाजपेयी जी ने की। मुख्य अतिथि कवि संगम त्रिपाठी थे व विशिष्ट आतिथ्य प्रदीप मिश्रा अजनबी जी का था.
सर्वप्रथम कवि संगम त्रिपाठी ने महात्मा गांधी जी को माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. धर्म प्रकाश वाजपेयी जी ने कवि संगम त्रिपाठी को हार पहनाकर स्वागत किया व अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया. उपस्थित समस्त कवि व कवयित्री को धर्म प्रकाश वाजपेयी जी व संगम त्रिपाठी ने अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया.
विचार गोष्ठी में कुमार आलोक, डॉ शिव शरण श्रीवास्तव अमल, महिमा त्रिपाठी, सुधीर सिंह, शैल भदावरी जी, प्रदीप मिश्रा अजनबी,डॉ धर्म प्रकाश वाजपेयी जी ने विचार व्यक्त किए व हिंदी के प्रचार-प्रसार में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के योगदान की व्याख्या की.
आगामी सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि शैल भदावरी ने की व प्रदीप मिश्रा अजनबी के संचालन में सदाशिव बेगाना, आलोक कुमार, कवयित्री सीमा शर्मा मंजरी, ब्रम्हानंद तिवारी पुष्पधन्वा, डॉ शिव शरण श्रीवास्तव अमल, सुधीर सिंह, प्रदीप मिश्रा अजनबी, कवि संगम त्रिपाठी व शैल भदावरी ने काव्य पाठ किया. हास्य व्यंग गीत व वीर रस की कविताओं से कविता की धारा प्रवाहित हो गई व हिंदी के लिए सार्थक पहल पर इतिहास गढ़ कर सृजन को सार्थकता प्रदान की.
कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री डाॅ धर्म प्रकाश वाजपेयी जी ने अपने वक्तव्य में कवि संगम त्रिपाठी के हिंदी के प्रचार-प्रसार व राष्ट्रभाषा बनाने के अभियान की सराहना की और कहा कि हिंदी के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व अटल बिहारी वाजपेई जी ने बहुत कार्य किया और ऐसे महापुरूषों के कदम पर कवि संगम त्रिपाठी चल रहे हैं जिसका हम समर्थन करते हैं.