सर्वश्रेष्ठ निक्षय मित्र को राज्यपाल करेंगी सम्मानित
सीतापुर। यदि आप निक्षय मित्र हैं, अर्थात आपने किसी टीबी मरीज को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है, तो प्रदेश की राज्यपाल आपके इस सराहनीय कार्य के लिए आपको सम्मानित कर सकती हैं. इस संबंध में राज्य क्षय नियंत्रण अधिकारी एवं संयुक्त निदेशक (क्षय) ने प्रदेश के सभी जिला क्षय अधिकारियों को पत्र लिख कर उत्कृष्ट कार्य करने वाले सर्वश्रेष्ठ निक्षय मित्र का विवरण भी मांगा है. दरअसल निक्षय मित्र योजना के तहत कोई भी व्यक्ति टीबी (क्षय) रोग के खिलाफ शुरू की गई राष्ट्रव्यापी जंग में अपना योगदान दे सकता है. ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा.
सीएमओ डॉ. मधु गैरोला ने लोगों से निक्षय मित्र बनकर टीबी के खिलाफ जंग को मजबूती देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि जिस तरह देश ने सम्मिलित प्रयासों से पोलियो और कोरोना के खिलाफ जंग जीती है, उसी प्रकार टीबी के खिलाफ जंग को जीतने के लिए सम्मिलित प्रयास किया जाना है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य है. इस क्रम में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान लांच किया गया. इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने के लिए निक्षय मित्र योजना की भी शुरुआत की गई है.
क्या है निक्षय मित्र योजना
एसीएमओ एवं जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एसके शाही ने बताया कि निक्षय मित्र योजना टीबी से पीड़ित लोगों को गोद लेने की योजना हैइस योजना के तहत कोई भी स्वयंसेवी संस्था, औद्योगिक इकाई या संगठन, राजनीतिक दल या कोई भी व्यक्ति टीबी मरीज को गोद ले सकेगा, ताकि वह इलाज में उसकी मदद करा सके और उसके लिए हर माह पौष्टिक आहार की व्यवस्था करा सके. इस अभियान के तहत निक्षय मित्र बनने वाले व्यक्ति या संस्था को कम से कम एक साल के लिए और अधिक से अधिक तीन साल के लिए किसी ब्लॉक, वार्ड या जिले के टीबी रोगियों को गोद लेकर उन्हें भोजन, पोषण आदि जरूरी मदद उपलब्ध करानी होती है. इस अभियान से जुड़ने के लिए आप निक्षय पोर्टल www.nikshay.in पर रजिस्टर किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिले में 250 निक्षय मित्र हैं.
योजना का उद्देश्य
इस अभियान को जन-आंदोलन बनाकर आमजन को बताना होगा कि इस बीमारी की रोकथाम संभव है. इसका इलाज आसान और नि:शुल्क है. लोगों को यह भी बताना होगा कि टीबी के कीटाणु हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद होते हैं. लेकिन जब रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो व्यक्ति में यह रोग दिखता है. इलाज से इस बीमारी से जरूर छुटकारा मिल सकता है. ये सभी बातें लोगों तक पहुंचने के बाद ही टीबी से प्रभावित लोग इलाज की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे.