टीबी रोगियों को खोजने में गोंदलामऊ सीएचसी ने मारी बाजी
सीतापुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2025 तक भारत को टीबी (क्षय) रोग से मुक्त करने के संकल्प को पूरा करने के लिए समय-समय पर टीबी रोगियों को खोजने का अभियान चलाया जाता है. इसके लिए सीएचसी स्तर पर टीबी रोगियों को खोजने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है. एसीएमओ व जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. सुरेंद्र कुमार शाही ने बताया कि वर्तमान में भी बीती 23 अगस्त से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत क्षय रोगियों को चिन्हित करने का अभियान चलाया जा रहा है.
जुलाई माह तक खोजे गए 7,795 क्षय रोगी
इस दौरान जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सीएचओ के माध्यम से टीबी रोगी खोजे जा रहे हैं. इसके अलावा स्वास्थ्य केंद्रों की ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच प्रतिशत मरीजों की टीबी की जांच भी की जा रही है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2022 में जिले में 13,300 टीबी के संभावित मरीजों को चिन्हित करने का लक्ष्य तय है। इसमें से जुलाई माह तक 7,795 मरीज चिन्हित हो चुके हैं.
बात अगर सीएचसी की करें तो खैराबाद और हरगांव सीएचसी को छोड़कर सभी सीएचसी द्वारा लक्ष्य के सापेक्ष एक सौ प्रतिशत से अधिक क्षय रोगियों को खोजा गया है. इस मामले में गोंदलामऊ सीएची ने लक्ष्य के सापेक्ष 175 प्रतिशत टीबी रोगियों की खोज कर पहला स्थान प्राप्त किया है. सीएचसी सांडा 150 और तंबौर 145 प्रतिशत मरीजों की खोजकर क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा है। इसके अलावा सीएचसी बिसवां पर लक्ष्य के सापेक्ष 144, पहला पर 134, महोली पर 129, सिधौली पर 125, एलिया पर 124, मिश्रिख पर 123, रामपुर मथुरा पर 120, पिसावां पर 117, महमूदाबाद पर 112, रेउसा पर 111, परसेंडी पर 109, कसमंडा पर 107, लहरपुर पर 106, मछरेहटा पर एक सौ, हरगांव पर 97 और खैराबाद पर 90 प्रतिशत टीबी रोगी खोजे गए हैं। इसके अलावा जिला टीबी क्लीनिक द्वारा 78 प्रतिशत क्षय रोगियों की खोज की गई है.
हर माह मिलता है पोषण भत्ता
निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को प्रतिमाह 500 रुपए पोषण भत्ता के रूप में दिए जाते हैं. वर्तमान में जिले के जिले में 19,771 टीबी रोगियों को इस भत्ते से लाभांवित किया जा रहा है. यह भत्ता मरीज के ठीक होने तक दिया जाता है.
कोई भी ले सकता है गोद
एसीएमओ व जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. सुरेंद्र कुमार शाही ने बताया कि टीबी मरीजों को कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था गोद ले सकती है. गोद लेने वाले व्यक्ति को मरीज के लिए पोषण खाद्य सामग्री (न्यूनतम छह माह) देनी होती है. जिसमें मूंगफली, भुना चना, गुड़, सत्तू, तिल और गजक एक-एक किग्रा देकर टीबी मुक्त जनपद बनाने में सहयोग कर सकते हैं.
यह हैं टीबी के लक्षण
दो हफ्ते या उससे अधिक समय से लगातार खांसी का आना, खांसी के साथ बलगम और बलगम के साथ खून आना, वजन का घटना एवं भूख कम लगना, लगातार बुखार रहना, रात में पसीना आना, सीने में दर्द होना टीबी के लक्षण हैं। यह लक्षण होने पर मरीज को क्षय रोग केंद्र पर टीबी की जांच करानी चाहिए.