फाइलेरिया से मुक्त होंगे जिले के पांच गांव, मुफ्त मिलेगी दवा
श्रावस्ती। जिले के तीन विकास खंडों के पांच गांवों के लोगों को फाइलेरिया से मुक्त करने के लिए मंगलवार से एक विशेष फाइलेरिया उन्मूलन अभियान का शुभारंभ किया गया. मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एपी भार्गव इकौना ब्लॉक के कंजड़वा गांव के संतोष कुमार के घर पर लगे फीता को काटकर इस अभियान की शुरूआत की. इसके बाद सीएमओ ने सबसे पहले संतोष को और उसके बाद परिवार के सदस्यों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई.
इस मौके पर सीएमओ ने बताया कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में नाइट ब्लड सर्वे किया गया. इनमें से इकौना ब्लॉक के कंजड़वा, पांडेयपुरवा, सिरसिया ब्लॉक के पिपराहवा, लालपुर अयोध्या और मल्हीपुर ब्लॉक के बहोरवा गांवों फाइलेरिया के धनात्मक मरीजों के मिलने के बाद इन गांवों को पॉयलट प्रोजेक्ट के लिए चयनित किया गया है. इन सभी चयनित गांवों में आज से फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिए एमडीए आईडीए का संचालन शुरू किया गया है. इस अभियान के तहत इन गांवों के करीब 7,400 लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा नि:शुल्क खिलाई जाएगी.
सीएमओ ने बताया कि इस अभियान में गांव की आशा के साथ ही आशा कार्यकर्ता के सहयोगी के रूप में गांव का एक व्यक्ति का भी सहयोग लिया जा रहा है. अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता दवा खिलाने का काम करेगी और सहयोगी ग्रामीण दवा खिलाते हुए फोटो खींच कर उसे वाट्सएप ग्रुप पर अपलोड करेगा. आशा कार्यकर्ता को प्रतिदिन गांव के 25 घरों का सर्वे कर शत-प्रतिशत पात्र लोगों को दवा खिलानी है. फाइलेरिया से बचाव की दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार लोगों को काे नहीं खिलानी है.
एसीएमओ और कार्यक्रम के नोडल अफसर डॉ. मुकेश मातनहेलिया ने बताया कि विभाग द्वारा आशा को एक बुकलेट दी जा रही है, जिसमें सर्वे वाले घर के प्रत्येक सदस्य का नाम, पता, उम्र, मोबाइल नंबर, जेंडर, दवा खिलाने की तारीख आदि विवरण दर्ज करना होगा. इस कार्य के लिए आशा और और उसके सहयोगी को प्रतिदिन 125 रुपए का पारिश्रमिक का भुगतान भी किया जाएगा. उन्होंने बताया कि अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्राम प्रधान के सहयोग से साफ-सफाई का काम कराया जाएगा. झाड़ियों को साफ कराया जाएगा, जिन गड्ढों में पानी भरा है, उन्हें बंद कराया जाएगा. इसके अलावा मच्छरों और उनके लार्वा को नष्ट करने के लिए फागिंग कराई जाएगाी. इस मौके पर इकौना सीएचसी अधीक्षक डॉ. आशीष श्रीवास्तव, आशा कार्यकर्ता किरन देवी सहित राजेश, ब्रजेश, राम सुहानी, राजरानी, अवधेश, अमन अवगेश आदि मौजूद रहे.
क्या है फाइलेरिया बीमारी
एसीएमओ और फाइलेरिया कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. मुकेश मातनहेलिया बताते हैं कि फाइलेरिया बीमारी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए फैलती है. जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है. जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं. ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है. इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। सही रोकथाम ही इसका समाधान है.
फाइलेरिया के लक्षण
फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं. जैसे कि अचानक बुखार आना (आमतौर पर बुखार 2-3 दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, स्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, अंडकोष में सूजन आदि. फाइलेरिया का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है.