Surya Satta
श्रावस्ती

फाइलेरिया बीमारी एक छुपा हुआ दुश्मन है: सीएमओ

श्रावस्ती। जिले के तीन विकास खंडों के पांच गांवों में फाइलेरिया के मरीजों को दवा खिलाने और ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए एक विशेष अभियान का आठ मार्च से शुभारंभ हो रहा है. इस दौरान ग्रामीणों को फाइलेरिया के बारे में जानकारी देते हुए मच्छरों से बचाव के उपाय भी बताए जाएंगे. इस विशेष अभियान में क्षेत्रीय आशा कार्यकर्ता के साथ ही गांव के किसी एक व्यक्ति और गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जा रहा है. इस आशय की जानकारी सीएमओ डॉ. एपी भार्गव ने साेमवार को अपने कार्यालय में आयोजित मीडिया वर्कशाप में दी.
उन्होंने बताया कि यह विशेष अभियान इकौना ब्लॉक के कंजड़वा, पांडेयपुरवा, सिरसिया ब्लॉक के पिपराहवा, लालपुर अयोध्या और मल्हीपुर ब्लॉक के बहोरवा गांवों में शुरू हो रहा है. सीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स और मैनसोनाइडिस प्रजाति के मच्छरों से होती है. यह मच्छर जब किसी मानव को काटता है तो यह एक पतले धागे जैसा परजीवी मानव शरीर में छोड़ता है. मादा परजीवी, नर परजीवी के संपर्क में आकर लाखों सूक्ष्म फाइलेरिया नामक भ्रूणों को जन्म देती है. यह माइक्रो फाइलेरिया रात के समय में प्रभावी होते हैं.
 उन्होंने कहा कि फाइलेरिया बीमारी एक छिपा हुआ दुश्मन है, क्योकि इसके लक्षण संक्रमण के 8 से 12 सालों बाद नजर आते हैं. ऐसी स्थिति में मानव शरीर के अंगों हाथ, पैर, स्तन, अंडकोष में सूजन बढ़ने लगती है. एसीएमओ डॉ. मुकेश मातनहेलिया ने बताया कि दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को दिव्यांग बना रही है.
उन्होंने कहा कि जिन अंगों पर फाइलेरिया का प्रभाव होता है, उसकी त्वचा पर इसके जीवाणु तेजी से पनपते हैं. इन जीवाणुओं की संख्या अधिक होने के कारण प्रभावित अंगों में दर्द, लालपन एवं रोगी को बुखार हो जाता है. फाइलेरिया प्रभावित अंगों में शुरूआत में सूजन के लक्षण होते हैं, बाद में यही सूजन स्थायी और लाइलाज हो जाती है.
उन्होंने  बताया कि सामान्य लोगों में, जिनके शरीर में फाइलेरिया रोग के कीटाणु नहीं है, दवा सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है. दवा के सेवन से जब शरीर में फाइलेरिया कृमि मरते हैं तो बुखार, खुजली, उल्टी जैसे लक्षण हो सकते हैं जो स्वतः तीन से चार घंटे में समाप्त हो जाते हैं. इस लक्षण के होने पर इसका सामान्य इलाज किया जा सकता है.
इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. हाइड्रोसिल का इलाज संभव है इसके मुफ्त आंपरेशन की सुविधा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं जिला अस्पताल पर मुफ्त उपलब्ध है. इससे बचाव के लिए घर के आस-पास पानी जमा न होने दें और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.
उन्होंने यह भी बताया कि यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अत्यन्त गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को नहीं दी जानी है, लेकिन जो लोग उच्च रक्त चाप, मधुमेह, अर्थराइटिस रोग की दवा का सेवन कर रहे हैं, वह इस दवा का सेवन अवश्य करें.

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