Surya Satta
सीतापुर

लगातार पांच साल तक दवा के सेवन से फाइलेरिया से बचा जा सकता है

 

सीतापुर। राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस पर शुक्रवार को हरगांव के कार्तिक पूर्णिमा मेले में जागरूकता शिविर लगा. यह शिविर स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से आयोजित हुआ. इसमें आए लोगों को फाइलेरिया और डेंगू के बारे जानकारी देते हुए मच्छरों से बचने के उपाय बताए गए.

सहायक मलेरिया अधिकारी अर्चना मिश्रा ने बताया कि अभी तक फाइलेरिया संक्रमित मरीज को तीन-तीन महीने के अंतराल पर 12-12 दिन दवा खानी पड़ती थी. इस तरह से एक मरीज को एक साल में कुल 48 दिन दवा खानी पड़ती थी, लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मॉडल के अनुसार मरीज को साल में एक ही दिन दवा खानी होगी. उन्होंने बताया कि यदि फाइलेरिया का कोई भी मरीज लगातार पांच सालों तक फाइलेरिया से बचाव की दवा खा ले तो इस बीमारी से बचा जा सकता है.

उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवा खाली पेट नहीं खानी है. दो साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती व गंभीर रूप से बीमार लोगों को यह दवा नहीं खानी। दवा खाने से जब शरीर में परजीवी मरते हैं तो कई बार सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रिया देखने को मिलती है. यह स्वतः ठीक हो जाती हैं.

फाइलेरिया निरीक्षक ओम प्रकाश भारद्वाज ने बताया कि फाइलेरिया रोग क्यूलेक्स मच्छर काटने से होता है. इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है. वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहते हैं. यह मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है. इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेती हैं. रक्त के नमूने की जांच में यह पता किया जाता है कि मरीज के रक्त में परजीवी की संख्या कितनी है. इसके बाद मरीज का उपचार शुरू होता है. इससे पूर्व सहायक मलेरिया अधिकारी अर्चना मिश्रा ने फीता काटकर शिविर का शुभारंभ किया.

पिछले 20 सालों से फाइलेरिया के साथ जी रहे नवीनगर गांव के शिवाला फाइलेरिया नेटवर्क/रोगी सर्पोट ग्रुप के अशोक कुमार और इसी ग्रुप के जयराम ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों से होने वाली बीमारी है. इसलिए मच्छरों से बचाव जरूरी है. मच्छरों से बचकर हम फाइलेरिया के साथ ही डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों से भी बच सकते हैं.
इस मौके पर पाथ संस्था की डॉ. आएशा आलम, आईपास ट्रेनिंग ऑफीसर अर्चना मिश्रा, नाथूबाबा फाइलेरिया नेटवर्क/रोगी सर्पोट ग्रुप आशीष कुमार सहित विनीत सिंह, अमरजीत, गोविंद, सैफुद्दीन, वसीम, विनीत पांडेय, मनोज शुक्ला, धर्मेद्र मिश्रा, बीरू मिश्रा के अलावा सीफार संस्था की सुमन दीक्षित व अंशू मिश्रा मौजूद रहीं.

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