Surya Satta
सीतापुर

परिवार नियोजन केवल महिलाओं की नहीं है जिम्मेदारी, पुरुष भी निभाएं जिम्मेदारी 

 

लखीमपुर। परिवार नियोजन सेवाओं को सही मायने में धरातल पर उतारने और समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हर सम्भव कोशिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनवरत की जा रही है. यह तभी फलीभूत हो सकता है, जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन साधनों को अपनाने को आगे आयें और उस मानसिकता को तिलांजलि दें कि यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है. इसमें जो सबसे बड़ी दिक्कत सामने आ रही है वह उस गलत अवधारणा का परिणाम है कि पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है. इस भ्रान्ति को मन से निकालकर यह जानना बहुत जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित है.

इसलिए दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने के लिए और जब तक बच्चा न चाहें तब तक पुरुष अस्थायी साधन कंडोम को अपना सकते हैं. वहीँ परिवार पूरा होने पर परिवार नियोजन के स्थायी साधन नसबंदी को भी अपनाकर अपनी अहम जिम्मेदारी निभा सकते हैं. परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डाॅ अश्विनी कुमार बताते हैं, कि पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली आसान शल्य क्रिया है, यह 99.7 फीसदी सफल है.

इससे यौन क्षमता पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है. उनका कहना है कि इस तरह यदि पति-पत्नी में किसी एक को नसबंदी की सेवा अपनाने के बारे में तय करना है तो उन्हें यह जानना जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी बेहद आसान है और जटिलता की गुंजाइश भी कम है. पुरुष नसबंदी होने के कम से कम तीन महीने तक परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों का प्रयोग करना चाहिए, जब तक शुक्राणु पूरे प्रजनन तंत्र से खत्म न हो जाएं. नसबंदी के तीन महीने के बाद वीर्य की जांच करानी चाहिए.

 

जांच में शुक्राणु न पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है। नसबंदी की सेवा अपनाने से पहले चिकित्सक की सलाह भी जरूरी होती है. उन्होंने बताया कि जिले में वित्तीय वर्ष 2019-20 में 5760 सरकारी विभाग द्वारा व 82 सम्बद्ध निजी चिकित्सालय द्वारा, कुल मिलाकर 5842 महिलाओं व 23 पुरुषों ने नसबंदी करवाई. 2020-21 में 6499 सरकारी इकाई द्वारा व 304 निजी इकाई, कुल 6803 महिला व 43 पुरुषों ने नसबंदी करवाई वहीं वर्ष 2021-22 में 6607 महिला व 22 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है। नसबंदी के आंकड़ों में कमी आने का मुख्य कारण कोरोना महामारी है। जिसके  कारण परिवार नियोजन सेवाएं कुछ समय के लिए बाधित हुई थी.

  क्या कहते हैं परिवार नियोजन प्रबंधक

परिवार नियोजन प्रबंधक पदमाकर त्रिपाठी ने बताया कि जिला मिशन परिवार विकास जनपद में शामिल है. इस जिले में पुरुष नसबंदी करवाने पर लाभार्थी को तीन हजार रुपये उसके खाते में दिये जाते हैं. पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं- पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति  के पास कम से कम एक जीवित बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो. पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है गैर सरकारी व्यक्ति के अलावा अगर आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक की भूमिका निभाती हैं तो उन्हें भी 400 रुपये देने का प्रावधान है.

यह भी प्रावधान

परिवार नियोजन प्रबंधक पदमाकर त्रिपाठी ने बताया कि नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपए की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर चार लाख रुपए की धनराशि दी जाती है।नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर दो लाख रुपए की धनराशि दिये जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए की धनराशि दी जाती है।

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