शिक्षा रोशनी है और अशिक्षा अंधेरा है: मौलाना सय्यद शबाहत हुसैन
सीतापुर। शिक्षा रोशनी है और अशिक्षा अंधेरा है लिहाजा अशिक्षा से निकल कर शिक्षा की नूरानी हवाओं से अगर तुम अपनी जिंदगी गुजारना चाहते हो तो शिक्षा के ज़ेवर से सज जाओ तभी तुम जिंदगी के हर मोड़ पर कामयाब होगे. शिक्षा हासिल करने के लिए तुम्हारे सामने चाहे कितनी ही मुश्किलें क्यों न आएं तुम उन मुश्किलों से मुकाबला करते हुए हर हाल में इल्म हासिल करो.

यह बात मुरादाबाद से पधारे मौलाना सय्यद शबाहत हुसैन ने मियांगंज स्थित मदरसा दारुल उलूम मोइनिया रहमानिया में आयोजित जलसे जश्ने दस्तार बंदी व अजमते रिसालत कांफ्रेंस में कही. उन्होंने कहा कि मज़हबे इस्लाम शिक्षा के जरिये ज़्यादा आगे बढ़ने का नज़रिया पेश करता है. पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा पर जो पहली वही उतरी उसमे सबसे पहले पढ़ने की बात कही गई है इल्म एक ऐसा हथियार है जो तलवार से ज़्यादा तेज़ है.
इल्म के जरिए ही इंसान हक और बातिल,अच्छाई और बुराई के बीच फर्क पैदा कर सकता है और शिक्षा से ही हमे अल्लाह को पहचानने का तरीका मालूम होता है. उन्होंने वक्त न बरबाद करने की नसीहत देते हुए कहा कि आज का युवा सोशल मीडिया पर अपना वक्त बरबाद कर रहा है जबकि युवाओं को चाहिए कि उन्हें जो जिंदगी मिली है उसे बरबाद न कर इस्लामिक तौर तरीकों पर अपना वक्त बिताएं जिससे दुनिया के साथ साथ आखिरत भी कामयाब हो जाएगी.

उन्होंने कहा कि आज के हुक्मरानों को हजरत उमर रजि० से सीख लेनी चाहिए जिन्होंने आधी दुनिया पर हुकूमत करते हुए भी साधारण जिन्दगी गुजार कर दुनिया के सामने मिसाल पेश की और आज भी उनकी जिन्दगी को पढ़ने वाला व्यक्ति बेहतर इंसान बनकर इंसानियत की सेवा करता है. जलसे की सदारत मौलाना सय्यद सुहेल मियां बिलग्राम शरीफ ने की एवं हाफिज कुरबान ने तिलावते कुरआन से जलसे का आगाज किया. हाजी जफर अकील झारखंडी व आदिल रजा फैजी ने खुबसूरत अंदाज में नात पाक पढ़कर खिराजे अकीदत पेश की. अंत में मदरसे के सात हाफिजों मो० सुफियान, जावेद खां, मो० शहरयार, मो० समीर, मो० जुनैद, मो० उमर, मो० नदीम के सरों पर दस्तार बांधकर उन्हें हिफ्ज के प्रमाण पत्र दिए गये एवं सय्यद सुहेल मियां ने मुल्क में अमन चैन की दुआ मांगी. जलसे का संचालन मौलाना इजहार रजा शाहजहाँपूरी ने किया.
अंत में मौलाना अनवार हुसैन कादरी ने आये हुए लोगो को धन्यवाद ज्ञापित किया इस अवसर पर मौलाना अनवार हुसैन कादरी, मास्टर तबस्सुम हुसैन, मौलवी इस्माइल कादरी,कारी अबुल हसन बिलग्रामी, महबूब अली, एजाज अली, मौलाना फैजान हुसैन, हाफिज जीशान बरकाती, सलमान रजा, अजमत अली, रेहान कादरी, मौलाना कलीम, हाफिज कमालुद्दीन, मौलाना अब्दुल मोबीन समेत बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे.