Surya Satta
सीतापुर

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही खाएं फाइलेरियारोधी दवा: डॉ. राजशेखर

 

आगामी 10 से 28 अगस्त तक लोगों को घर-घर जाकर खिलाई जाएगी फाइलेरियारोधी दवा

सीफार के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग की मीडिया कार्यशाला आयोजित

सीतापुर : राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आगामी 10 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीए) शुरू हो रहा है। अभियान की सफलता को लेकर सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) वार आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों की टीमें बनाई गई हैं। यही टीमें 10 से 28 अगस्त के मध्य घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरियारोधी दवा खिलाएंगी। यह जानकारी राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. राज शेखर ने मंगलवार को शहर के होटल में स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला में दी।

 

उन्होंने बताया कि इस अभियान के दौरान सीतापुर जिले में तीन दवाएं (आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजॉल) खिलाई जाएंगी। मेरी सभी से अपील है कि वह स्वयं तो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने फाइलेरियारोधी दवा खाएं हीं, साथ ही में परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों को भी यह दवा खाने के लिए प्रेरित करें क्योंकि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है और इससे बचने का एकमात्र उपाय समय पर फाइलेरियारोधी दवा सेवन करना है जिससे कि समय रहते फाइलेरिया के परजीवी पर नियंत्रण पाया जा सके। उन्होंने बताया कि घर-घर दवा खिलाने के लिए कुल 3616 टीमें बनाई गई हैं। यह टीमें जिले के 45.20 लाख लोगों को अपने सामने फाइलेरियारोधी दवा खिलाने का काम करेंगी। इस अभियान में 3340 आशा कार्यकर्ताओं सहित 728 सुपरवाइजर की तैनाती की गई है।

 

सीफॉर की नेशनल लीड रंजना द्विवेदी ने आईडीए अभियान में संचार की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डालते हुए आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यशाला में सहयोगी संस्था सीफार, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशल (पीसीआई) और पाथ ने अभियान को लेकर अपनी-अपनी गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर माइक्रो बायोलॉजिस्ट डॉ. आरके श्रीवास्तव, सहायक मलेरिया अधिकारी मंजूषा गुप्ता, डीसीपीएम रिजवान मलिक, डीईआईसी मैनेजर डाॅ. सीमा कसौधन, आरकेएसके के समंवयक शिवाकांत, फाइलेरिया विभाग के आेम प्रकाश भारद्वाज, सौरभ शुक्ला, आर्यन शुक्ला सहित मीडिया कर्मी व विश्व स्वास्थ्य संगठन, सीफॉर, पीसीआई और पाथ के प्रतिनिधि, मौजूद रहे।

 

किसे और कितनी खानी है दवा

 

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कमलेश चंद्रा ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जाएगी।

 

दवा के दुष्प्रभाव से न घबराएं

पाथ संस्था की प्रतिनिधि डॉ. आएशा आलम ने बताया कि दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।

 

फाइलेरिया रोगियों ने सुनाई आपबीती

 

कार्यशाला में फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्य लाल बिहारी पांडे और ररिता देवी ने सभी से फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करने की अपील करते हुए कहा कि अज्ञानतावश उन लोगों ने फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन नहीं किया जिसके कारण वह इस बीमारी के साथ जी रहे हैं। आप लोग ऐसी गलती न करें। जब घर बैठे फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जा रही है तो इसका सेवन जरूर करें और फाइलेरिया जैसी लाइलाज बीमारी से बचें। फाइलेरिया मरीज लाल बिहारी ने कहा कि व्यक्ति को पता ही नहीं होता है कि वह फाइलेरिया से पीड़ित है और अनजाने में वह दूसरों को संक्रमित करता है। इसलिए फाइलेरियारोधी दवा का सेवन जरूर करें।

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