डरें नहीं, जागरूकता से एड्स पर लगाया जा सकता विराम
जिले में एड्स रोगियों की संख्या 235 हुई, बीते आठ माह में मिले 38 नए मरीज
सीतापुर : वर्ष 2002 से नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नॉको) के सहयोग से यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (यूपी सैक्स) के निर्देश पर जिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा जिले में एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम) रोगियों को चिन्हित करने का काम किया जा रहा है।
एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र के परामर्शदाता उदय प्रताप सिंह बताते हैं कि जिले में मौजूदा एड्स रोगियों की संख्या 235 है। इनमें अधिकांश वे लोग हैं जो यूपी अथवा दूसरे प्रांतों के महानगरों में काम करते हैं, सेक्स वर्कर हैं अथवा इंजेक्शन से नशा लेने के आदी हैं। जिले में करीब 300 लोग ऐसे हैं, जोकि इंजेक्शन के माध्यम से नशा करते हैं। इनमें से 10 लोग एड्स पीड़ित भी हैं। इसके अलावा पांच सौ महिला सेक्स वर्कर में से दस और तीन सौ पुरुष सेक्स वर्कर में से चार लोग एड्स पीड़ित हैं। अप्रैल से नवबंर 2023 के मध्य कुल 38 नए मरीज चिन्हित हुए हैं। जिले में जो भी संक्रमित हैं उनमें अधिकतर प्रवासी हैं। यह लोग अपने काम-धंधे के सिलसिले में लंबे समय तक घरों से बाहर रहते हैं और संक्रमित महिला से संबंध स्थापित कर वायरस ले लेते हैं। जब तक उन्हें इसका पता लगता है, तब तक वह कई अन्य लोगों को बीमारी का वायरस परोस संक्रमित कर चुके होते हैं।
ऑपरेशन से पूर्व होती है जांच
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. मनोज देशमणि बताते हैं कि जिले में सदर अस्पताल, महिला चिकित्सालय और सिधौली तंबौर सीएचसी पर एड्स की जांच की जाती है। एड्स की जांच के लिए पूरी सतर्कता बरती जाती है। किसी भी आॅपरेशन अथवा रक्तदान से पूर्व संबंधित की जांच की जाती है। इसके अलावा सभी गर्भवती की भी एचआईवी जाचं भी की जाती है। अगर किसी गर्भवती में एचआईवी वायरस पाया जाता है, तो उसके होने वाले बच्चे के एड्स संक्रमित होने की 20 प्रतिशत तक की संभावनाएं हाेती हैं। लेकिन समय पर महिला के इलाज से बच्चे का यह संक्रमण 10 फीसदी कम किया जा सकता है। वह बताते हैं कि एसआईवी वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद कम से कम तीन माह बाद बीमारी के हल्के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। इसके बाद दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। जब तक बीमारी की जांच होती है तब तक संक्रमित व्यक्ति रोग को कई लोगों तक पहुंचा देता है।
जांच कराने वालों की रहती गोपनीयता
एड्स रोगियों को चिन्हित कर उन्हें जागरूक करने का काम कर रहीं संस्था नारी जागरण सेवा समिति के जिला समन्वयक सचिन त्रिपाठी बताते हैं कि एड्स को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी लोगों में इस बीमारी को लेकर भ्रांतियां है और वह इसकी जांच कराने नहीं आते हैं। जिला चिकित्सालय में स्थित एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र पर कोई भी व्यक्ति अपनी जांच करा सकता है। यहां मरीज की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती है। इस केंद्र पर यह भी बताया कि जाता है कि कोई भी व्यक्ति एचआईवी के वायरस किस तरह से संक्रमित होता है, साथ ही इससे बचने के लिए सुरक्षित सेक्स व सुरक्षित नशा करने की सलाह भी दी जाती है।
क्या कहते हैं सीएमओ
एड्स को लेकर घबराने या डरने की जरूरत नहीं है। जन-जागरूकता से इस बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित जांचों के साथ ही समय-समय पर जागरूकता वाले कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
*- डॉ. हरपाल सिंह, सीएमओ*