केवल हत्या पर प्रतिबंध लगाकर गोवंश का नही हो सकता है संरक्षण: पदम नाथ महाराज
लखनऊ। राष्ट्रीय गौ रक्षक संघ(National Gau Rakshak Sangh) का स्थापना दिवस(Foundation Day) उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद स्थित नैमिषारण्य(Naimisharanya) में मनाया गया. राष्ट्रीय गौ रक्षक संघ के स्थापना दिवस पर संघ की ओर से नैमिषारण्य में प्रेसवार्ता का आयोजित की गई. इस दौरान राष्ट्रीय गौ रक्षक संघ के पदाधिकारियों ने सनातन धर्म की रीढ़ गोवंश को बचाने की मुहीम पर अपने विचार पत्रकारों के समक्ष रखे.
संघ के संस्थापक स्वामी पदम नाथ महाराज ने बताया कि संपूर्ण भारत में गोवंश संरक्षण के लिए बहुत से संगठन कार्य कर रहे हैं. सभी का उद्देश्य गोवध पर प्रतिबंध लगाना है. केवल गोवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगाकर हम गोवंश का संरक्षण और संवर्धन नहीं कर सकते. जबकि सभी संगठनों की भारत सरकार से एक ही माँग है. गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगे इस विषय पर तमाम संगठन देश भर में काम कर रहे हैं.
राष्ट्रीय गौ रक्षक संघ का उद्देश्य गाय को धर्म के साथ-साथ अर्थ से जोड़ना
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाया है. जिसका परिणाम यह हुआ कि गोवंश मारा- मारा भटकने लगा. जितना कत्लखानों में गोवंश नहीं मरता था उससे अधिक सड़क दुर्घटनाओं और कटीले तारों में फँसकर, भूख से तड़प- तड़प कर मरना शुरू हो गया. यदि भारत सरकार गौ हत्या प्रतिबंध लगा देगी तो संपूर्ण भारत में गाय की वही स्थित हो जाएगी, जो वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में है.
हमारा राष्ट्रीय गौ रक्षक संघ बनाने का उद्देश्य है कि हमने गाय को धर्म के साथ-साथ अर्थ से जोड़ने का प्रयास किया है. इसके लिए गाय के घर वापसी की योजना पर कार्य किया जाएगा. गाय किसान के खूँटे पर वापस कैसे जा सके. इसके लिए हमने अभियान का शुभारंभ 88,000 ऋषियों की तपोभूमि से किया है. गाय संपूर्ण जीवन दूध नहीं दे सकती.बिना दूध दिए किसान के घर में कैसे रह सकती है इस विषय पर हमने चिंतन मंथन किया है जिसमें संपूर्ण भारत के बड़े-बड़े को वैज्ञानिकों ने हमारा साथ दिया है. उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि वह सहयोगी बनेंगे. जिसमें हमने कई विषयों को सम्मिलित किया है.
गाय का गोबर और गोमूत्र बन सकती है आजीविका का साधन
गाय दूध भले ही न दे लेकिन गोबर और गोमूत्र वह आजीवन देती रहेगी. गोबर और गोमूत्र का प्रयोग हम क्या -क्या कर सकते हैं. अभी तक हमारे देश में गोबर का प्रयोग मात्र खाद के रूप में किया जाता रहा है लेकिन गोबर का प्रयोग बहुत सारे उत्पादों को बनाने में किया किया जा सकता है. गोबर और गोमूत्र आजीविका का साधन बन सकता है.
गाय के गोबर से किसान बना सकते है धूप बत्ती
किसान अपने घरों में धूप बत्ती बना सकता है किसान फिर धूपबत्ती बनाता है तो उसका कोई ब्रांड नहीं होता है.
बेचने में दिक्कत आती है इसलिए हमने आयुर्वेदिक उत्पाद बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों से अनुबंध कराया है यदि किसान गोबर और गोमूत्र से धूपबत्ती व अन्य पदों का प्रशिक्षण के उपरांत निर्धारित मानक के अनुरूप निर्माण करता है और बेचने में दिक्कत आती है तो फार्मेसी उनके उत्पाद खरीदेगी. गोमूत्र से उसका अर्क मिट्टी के मटको के प्रयोग से आसानी से निकाला जा सकता है. जिसकी बाजार में लगभग ढाई सौ रूपये लीटर कीमत है.
यदि किसानों को 90 या ₹100 लीटर भी इसका मूल्य दिया जाता है. तो इस प्रकार किसान/ गोपालक भाई एक गाय से प्रतिदिन 100 से 150 गोमूत्र से कमा सकते हैं वही 1 दिन में 200 तक कमा सकते हैं दूध तो इसके अतिरिक्त है. इन्हीं विषयों को ध्यान में रखते हुए गाय की पुनः घर वापसी हो उसके लिए गोबर और गोमूत्र का सदुपयोग हो सके. बहुत सी वस्तुएं जैसे सौंदर्य प्रसाधन गोमूत्र से बनी हुई फिनायल आज बहुत उपयोगी हैं.
रसायनिक फिनायल से हो सकता है ब्रेन कैंसर
बाजार में मिलने वाले रसायनिक फिनायल में कुछ ऐसे रसायनिक तत्व मिले होते हैं जिससे ब्रेन हेमरेज का कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है.
हमने जो गोनाइल फिनायल बनाने का प्रयास किया है वह पूर्ण रूप से सुरक्षित है. बहुत सारी फॉर्मेसियों गोमूत्र से जो फिनाइल बना रही हैं उनका प्रयोग पूर्णतया सुरक्षित है.गाय को सीधे-सीधे हमने अर्थ से जोड़ने का प्रयास किया है. बहुत सारे उत्पाद हैं जो गाय के गोबर और गौ मूत्र से बनाए जा सकते हैं. सौंदर्य प्रसाधन, औषधियां, कृषि कार्यों में प्रयुक्त होने वाले उत्पाद बनाए जा सकते हैं. एक गाय से 2 एकड़ जमीन गोबर गोमूत्र का प्रयोग करके बिना किसी रासायनिक हाथ खादों के प्रयोग के खेती की जा सकती है.
भारत रत्न सुरेश भाई ने 40 लाख किसानों को गोमूत्र के जीवांश से पहुचा चुकें है लाभ
गुजरात के गौ वैज्ञानिक और भारत रत्न सुरेश भाई सुतारिया जिन्होंने गोबर और गोमूत्र से ऐसे जीवांश निर्मित किए हैं जिन्होंने 40 लाख किसानों को लाभ पहुंचाया है. संपूर्ण भारत में वह निःशुल्क जीवांश वितरित करते हैं.उनसे हमारी बात हुई है वह भी उत्तर प्रदेश में हमारे साथ काम करने को तैयार हैं.
गोबर और गोमूत्र से बने हुए जीवांश खेती में उत्पादन क्षमता बढ़ाते हैं. फिर चाहे कितने भी रसायनिक उत्पाद उसमें डाले गए हों, मात्र तीन बार में वे जीवांश डालने से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है और वह विष मुक्त हो जाती है. यह एक ऐसा अद्भुत प्रयोग है जिसके लिए भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न पुरस्कार दिया है.
स्थापना दिवस पर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संस्थापक स्वामी पदम नाथ महाराज, राष्ट्रीय महामंत्री डॉक्टर यशवंत मैथिल, राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप वैरागी और प्रदेश अध्यक्ष अजीत शर्मा ने गौ माता और भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
पत्रकार वार्ता में यह लोग रहे मौजूद
पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. यशवंत मैथिल, राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप वैरागी, प्रदेश अध्यक्ष अजीत शर्मा, सीतापुर जिला अध्यक्ष प्रताप सिंह शेखावत ,महामंत्री मनीष रावत, हरदोई जिलाध्यक्ष कपिल तिवारी, आचार्य सर्वेश शुक्ला, जुबेर अहमद अंसारी, महाकाल द्विवेदी, विवेक शर्मा, विज्ञान मिश्रा, कुलदीप शुक्ला, नागराज सिंह दीपांशु मौर्या ,आकाश सिंह ,आलोक शुक्ला सहित तमाम कार्यकर्ता उपस्थित रहे.