आराम महसूस होने पर भी दवा का कोर्स करें पूरा
सीतापुर : विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह (एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध जागरूकता सप्ताह) के तहत कसमंडा ब्लॉक के कमलापुर स्थित राजा बहादुर डॉ. सूर्य बक्श सिंह इंटर कॉलेज में गोष्ठी आयोजित हुई. इसमें विद्यार्थियों और शिक्षकों ने प्रतिभाग किया.
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजशेखर ने बताया कि किसी सूक्ष्मजीव (वायरस, बैक्टीरिया आदि) के संक्रमण के उपचार में प्रयुक्त होने वाली दवा के प्रति उस सूक्ष्मजीव का प्रतिरोध क्षमता हासिल कर लेना ही एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस है. इसके परिणामस्वरूप मानक उपचार अप्रभावी या कम असरदार हो जाता है, और इससे बीमारी के फैलने तथा मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है, दवाओं के कम प्रभावी रहने से यह संक्रमण शरीर में बना रह जाता है, दूसरों में फैलने का खतरा बना रहता है.
जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. दीपेंद्र वर्मा ने बताया कि चिकित्सक की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स (एंटीमाइक्रोबियल) का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. चिकित्सक ने दवा को जितने भी दिन के लिए लिखी है. आराम होने के बावजूद दवा का कोर्स जरूर पूरा करें.
दवा लेने से प्रारम्भिक स्तर पर हमारे शरीर में आराम तो आ जाता है, लेकिन संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव पूरी तरह खत्म नहीं होते हैं. कोर्स बीच में छोड़ने से यह सूक्ष्मजीव धीरे-धीरे उस दवा के प्रति प्रतिरोध क्षमता हासिल कर लेते हैं और अगली बार जब हम बीमार होते हैं तो वह दवा पूरी तरह असरदार नहीं होती है. उन्होंने यह भी बताया कि यदि कुछ दवा बच गई है तो उसे हम न तो किसी अन्य को दें और न ही डॉक्टर की सलाह के बिना स्वयं उसका प्रयोग करें. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार से संक्रमण से बचने के लिए अपने आसपास स्वच्छता रखें तथा गुणवत्तायुक्त स्वच्छ पौष्टिक भोजन का सेवन करें.
एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक सचान ने कहा कि बिना डॉक्टर की सलाह के अधिक एंटीबायोटिक दवाएं लेने से मानव शरीर में मौजूद बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर बंद हो जाता है. जो एक खतरनाक चलन है. ऐसे लोगों को जब कोई बीमारी हो जाती है तो दवाओं का सही और समय पर असर नहीं होता है। लोग बिना चिकित्सीय सलाह के एंटीबायोटिक दवाएं लेते हैं, जबकि कभी-कभी इसकी आवश्यकता नहीं होती है. उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए.