सीएमओ ने फीता काटकर क्लब फुट क्लीनिक का किया शुभारंभ
श्रावस्ती। जन्म से ही बच्चों के टेढ़े पंजों एवं पैरों के इलाज के लिए अब महानगरों के चक्कर नहीं काटने होंगे. इस तरह का उपचार अब संयुक्त जिला चिकित्सालय में ही उपलब्ध होगा. सीएमओ डॉ. एसपी तिवारी ने संयुक्त जिला चिकित्सालय में स्थित क्लब फुट क्लीनिक का फीता काटकर शुभारंभ किया. अब इस क्लीनिक में प्रत्येक शनिवार को ऐसे बच्चों का पंजीयन और इलाज किया जाएगा. यह नई व्यवस्था राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत की गई है.
सीएमओ डॉ. एसपी तिवारी ने बताया कि क्लब फुट क्लीनिक में 2 साल तक के बच्चों का इलाज प्लास्टर करके और इससे अधिक उम्र के बच्चों का इलाज ऑपरेशन से किया जाता है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत क्लब फुट क्लीनिक की शुरुआत की गई है. इसमें मिरैकल फीट संस्था भी सहयोग कर रही है. इस संस्था की ओर से बच्चों को नि:शुल्क जूते उपलब्ध कराए जाएगें. उन्होंने बताया कि बच्चों के टेढ़े पंजों व पैरों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. लेकिन कम जागरूकता के कारण अक्सर अभिभावक देरी से बच्चे को इलाज के लिए लाते हैं.
तब तक हड्डियां काफी हद तक सख्त हो चुकी होती हैं. सही समय पर सही इलाज के माध्यम से बच्चे को जिंदगी भर की दिव्यांगता से बचाया जा सकता है. कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमओ डॉ. संत कुमार ने बताया कि 800 बच्चों में एक बच्चा क्लबफुट के साथ जन्म लेता है, जिसमे 95 फीसद मामलों में पंजे पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. इसलिए इस रोग से ग्रसित बच्चों को इलाज के लिए जरूर लाएं. क्लब फुट या जन्म से टेढे-मेढ़े पंजों के होने का इलाज अब जिले में ही उपलब्ध है, इसके लिए पहले लखनऊ जाना पड़ता था.
लेकिन अब जिला चिकित्सालय के अस्थि रोग विभाग में प्रत्येक शनिवार को चिकित्सकीय टीम उपलब्ध रहेगी. इस मौके पर डीईआईसी मैनेजर प्रतीक शाक्य, मिरैकल फीट संस्था के समंवयक दिलीप धर दुबे, शाखा प्रबंधक मनीष शर्मा आदि मौजूद रहे.
क्या है आरबीएसके
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) का उद्देश्य जन्म से लेकर 18 और उससे कम उम्र के बच्चों को सरकार की ओर से मुफ्त इलाज और चेकअप करवाया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे बच्चे हैं जिनके परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है या वो चिकित्सा सेवा की पहुंच से दूर हैं, ऐसे बच्चों के लिए ये योजना लाभदायक है. योजना के तहत जन्म के समय कोई रोग, बीमारी या चेकअप के दौरान बीमारी का पता चलने पर बच्चे को मुफ्त इलाज दिया जाता है इसके अलावा स्कूलों में चेकअप और नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच की जाती है.