Surya Satta
लखीमपुर खीरी

बच्चों में पेट के कीड़ों की दवा खिलाने का अभियान शुरू  

लखीमपुर। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को लेकर शुक्रवार से अभियान शुरू हो गया. इस अभियान के तहत जिले में आज से 19 मार्च तक बच्चों को पेट के कीड़ों की दवा खिलाई जाएगी.

एक से 19 वर्ष तक के बच्चों को खिलाई जाएगी एलबेंडाजाल टेबलेट

 इस अभियान में एक से 19 वर्ष तक के बच्चों को एलबेंडाजाल टेबलेट खिलाई जाएगी. शिक्षक व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पेट के कीड़ों की दवा खिलाएंगी, जबकि आशा स्कूल न जाने वाले बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों में बच्चों को लाकर पेट के कीड़ों की दवाए खिलाएंगी. यह अभियान स्वास्थ्य, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग और शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयास से शुरू किया गया है.

जिले के 19 लाख 37 हजार 107 बच्चों को खिलाई जाएगी पेट के कीड़ों की दवा

कार्यक्रम नोडल / एसीएमओ केके आदिम ने बताया कि जिले में एक से पांच वर्ष तक के सभी पंजीकृत बच्चों और छह से 19 वर्ष तक के स्कूल न जाने वाले बालक-बलिकाओं को एलबेंडाजाल टेबलेट खिलाई जाएगी. इसके अलावा ईंट-भट्टों पर काम करने वाले श्रमिक व घुमंतू लाभार्थियों को आशा के जरिए स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्र पर लाकर टेबलेट खिलाएंगी. छह से 19 साल उम्र तक के सभी छात्र-छात्राओं को सरकारी सहायता प्राप्त, निजी विद्यालयों और मदरसों में शिक्षकों के जरिए यह टेबलेट खिलाई जाएगी.
एसीएमओ व नोडल अधिकारी केके आदिम ने बताया कि जिले में एक से 19 साल तक के बच्चों को एल्बेंडाजाल टेबलेट खिलाई जाएगी. जिले में 19 लाख 37 हजार 107 बच्चों को यह टेबलेट खिलाने का लक्ष्य है.

11 से 19 मार्च तक एलबेंडाजाल टेबलेट खिलाने का चलेगा अभियान

डीपीएम अनिल यादव ने बताया कि कि एलबेंडाजाल टेबलेट किसी भी बच्चे के अभिभावक को रखने या बाद में खिलाने के लिए नहीं देनी है. यह दवा आशा-आगंनवाड़ी कार्यकर्ता को अपने सामने ही बच्चों को खिलानी है. खाली पेट दवा नहीं खिलानी है. उन्होंने बताया कि किसी भी तरह की बीमारी से ग्रसित बच्चे को यह टेबलेट नहीं खिलानी है. यदि यह टेबलेट खाने के बाद उल्टी, मिचली महसूस हो, तो डरने की जरूरत नहीं कीड़े ज्यादा होने पर दवा खाने के बाद सिरदर्द, उल्टी, मिचली थकान, चक्कर आना महसूस होना सामान्य प्रक्रिया है. 11 से 19 मार्च तक एलबेंडाजाल टेबलेट खिलाने का अभियान चलेगा.
 दवा खाने के बाद सब ठीक हो जाता है. यदि इसके बाद भी कोई अन्य बड़ी परेशानी हो तो एंबुलेंस से मदद ले सकते हैं. ब्लाक स्तर पर मोबाइल नम्बर जारी किये गये हैं, ताकि दवा खाने के बाद कोई प्रतिकूल असर होने पर सम्पर्क कर इलाज मुहैया कराया जा सके.

कुपोषण का शिकार हो सकते हैं बच्चे

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार सचिन गुप्ता ने बताया कि पेट में कीड़े होने से बच्चा कुपोषित हो सकता है. साथ ही बच्चे में खून की कमी हो सकती है. इसके साथ ही बच्चा थकान और कमजोरी महसूस करता है. पेट में कीड़ों की वजह से बच्चा किसी भी बीमारी से ग्रसित हो सकता है. पेट में कीड़े न हों, इसके लिए बच्चों के नाखून समय-समय पर काटते रहें. नाखून बड़े न होने दें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. उन्होंने बताया कि खाना बनाने और खाने से पहले हाथ धोएं, नंगे पैर न घूमें. साबुन से हाथ धोते रहें और खुले में शौच न जाने दें, शौचालय का प्रयोग करें.

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