किशोर-किशोरियों के सच्चे साथी बन सही राह दिखा रहे साथिया केंद्र
सीतापुर। किशोरावस्था (10 -19 वर्ष) में शारीरिक एवं मानसिक बदलाव तेजी से होते हैं। इस दौरान किशोर/किशोरियों की समस्याओं में विभिन्नता के साथ-साथ जोखिम भी अलग-अलग होते हैं। एक विवाहित अथवा अविवाहित, स्कूल जाने वाले तथा न जाने वाले, ग्रामीण या शहरी क्षेत्र के किशोर/किशोरियों की यौन विषय पर जानकारी भी अलग-अलग होती है.
इन्हीं उलझनों को सुलझाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पतालों सहित सभी ब्लॉक सीएचसी पर साथिया केंद्रों (किशोर स्वास्थ्य एवं परामर्श क्लीनिक) की स्थापना की गई है. बीते एक साल में जिले के दो साथियों केंद्रों पर 30,681 किशोर-किशोरियों ने अपनी समस्याओं, शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान पाया है.
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के नोडल अफसर और उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. उदय प्रताप का कहना है कि किशोरावस्था में शारीरिक व मानसिक बदलाव तेजी से होते हैं. इस उम्र में किशोर और किशोरियां यौन, मानसिक तथा व्यावहारिक रूप से परिपक्व होने लगते हैं. ऐसे में उनके सामने ऐसे तमाम अनसुलझे सवाल, शंकाएं और जिज्ञासाएं होती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी स्तर पर राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत साथिया केंद्र की स्थापना की गई है.
इन केंद्रों पर प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा किशोर-किशोरियों की शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान तो किया ही जा रहा है, साथ ही उन्हें पोषण, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, चोट और हिंसा को रोकने और मादक पदार्थों के दुष्परिणामों के बारे में भी जानकारी दी जा रही है.
30,681 को मिली सेवाएं
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समंवयक शिवाकांत बताते हैं कि बीते वित्तीय वर्ष में जिले के 21 साथियां केंद्रों पर कुल 30,681 किशोर-किशोरियों ने अपना पंजीकरण कराकर अपनी जिज्ञासाओं और शंकाओं का समाधान प्राप्त किया है. जिनमें से 5,923 ने यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया है. इसके अलावा 3,630 किशोर-किशोरियों ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्राप्त की तो 8,183 ने पोषण संबंधी जानकारी प्राप्त की है। 3,014 ने गैर संचारी रोगों, 1,854 ने लिंग आधारित हिंसा और 1,619 ने मादक द्रव्यों के सेवन को लेकर अपनी शंकाओं का समाधान पाया है। इसके अलावा इनमें से 1081 किशोर-किशोरियों को चिकित्सीय परामर्श के लिए रेफर भी किया गया है.
क्या कहती हैं काउंसलर
जिला महिला चिकित्सालय की अर्श काउंसलर रीता मिश्रा बताती है कि केंद्र पर आने वाली किशोरियों में तमाम ऐसी होती हैं, जिनकी शादी हो चुकी होती है. ऐसे में उनके मन में यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर तमाम तरह के प्रश्न होते हैं. सिधौली सीएचसी की अर्श काउंसलर लक्ष्मी और हरगांव सीएचसी की अर्श काउंसलर नुजहत परवीन का कहना है कि किशोरवय उम्र में होने वाले शारीरिक बदलावों के लेकर अधिकांश किशोर-किशोरियां चिंतित रहते हैं और वह केंद्र पर आकर अपनी मानसिक समस्याओं का समाधान पाते हैं