इंसेफेलाइटिस से बचने को जागरूकता जरूरी: सीएमओ
विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस पर हुई कार्यशाला
श्रावस्ती। इंसेफेलाइटिस एक वायरल संक्रमण है। इससे संक्रमित व्यक्ति के दिमाग में सूजन आ जाती है। यदि पीड़ित व्यक्ति को सही समय पर उपचार न मिले तो उसकी जान पर भी बन आती है। यह बात मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय प्रताप सिंह ने गुरुवार को अपने कार्यालय में विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस पर आयोजित एक कार्यशाला में कही।
उन्होंने कहा कि बहुत से लोग इसे जापानी इंसेफेलाइटिस के नाम से भी जानते हैं। हर साल विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस 22 फरवरी को लोगों को इस गंभीर बीमारी से जागरुक करने के लिए ही मनाया जाता है। लेकिन अभी भी लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। इंसेफेलाइटिस के सामान्य लक्षणों में सिरदर्द, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, गर्दन में अकड़न, मानसिक भ्रम और दौरे पड़ना शामिल हैं। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीके श्रीवास्तव ने बताया कि इंसेफेलाइटिस अक्सर फ्लू जैसी बीमारी सिरदर्द, उच्च तापमान से शुरू होता है। आमतौर पर ये गंभीर लक्षण कुछ घंटों से कुछ दिनों तक, या कभी-कभी हफ्तों बाद भी दिखाई देते हैं। अन्य लक्षणों में उजाले में देखने से दिक्कत, बोलने या शरीर पर नियंत्रण करने में असमर्थता,गर्दन की जकड़न या अनैच्छिक व्यवहार शामिल हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी राकेश पाल ने बताया कि मच्छरों से बचने के लिए सभी को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा। खुली नालियों के होने से जल भराव होता है, जिससे उसमें मच्छर पनपते हैं। मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें, मच्छरों को नष्ट करने के लिए जल भराव वाले स्थानों में प्रयोग हुआ हुआ मोबिल ऑयल डाल दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दे। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहने और मच्छरदानी अथवा मच्दररोधी क्वायल का का प्रयोग करें। इस मौके पर डॉ. अजीम, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी अभय प्रताप, पाथ के नवीन, मलेरिया निरीक्षक शालिनी त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।