Surya Satta
उत्तर प्रदेशहरदोई

लोकसभा में दिए गए विवादित वक्तव्य के विरोध में अर्कवंशी क्षत्रिय महासंघ ट्रस्ट ने लोकसभा अध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन

हरदोई। अर्कवंशी क्षत्रिय महासंघ ट्रस्ट, भारत ने मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र के सांसद अशोक कुमार रावत द्वारा 5 दिसंबर 2025 को लोकसभा में दिए गए वक्तव्य पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए लोकसभा अध्यक्ष को संबोधित ज्ञापन सौंपा है। संगठन का कहना है कि सांसद द्वारा महाराजा सल्हिय सिंह अर्कवंशी(Maharaja Salhia Singh Arkvanshi) महाराजा मल्हिय सिंह अर्कवंशी( Maharaja Malhia Singh Arkvanshi) तथा चक्रवर्ती सम्राट महाराजा सुहेलदेव राजभर(Chakravarti Emperor Maharaja Suheldev Rajbhar) जैसे गौरवशाली महापुरुषों के संदर्भ में तथ्यहीन, असम्मानजनक एवं भ्रामक वक्तव्य दिया गया, जो समाज की भावनाओं को गहराई से आहत करता है।

महासंघ ने कहा कि इन ऐतिहासिक महापुरुषों को किसी भी जाति-विशेष से जोड़कर सदन में प्रस्तुत करना न केवल अज्ञानता का परिचायक है, बल्कि यह राष्ट्र के गौरव, इतिहास और सामाजिक समरसता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। संवैधानिक पद पर विराजमान जनप्रतिनिधि द्वारा इस प्रकार के वक्तव्य से सदन की मर्यादा भंग होती है तथा समाज में वैमनस्य का माहौल उत्पन्न होता है।

संगठन ने लोकसभा अध्यक्ष से चार प्रमुख मांगें की हैं

1. सांसद द्वारा दिए गए विवादित वक्तव्य को सदन की कार्यवाही से हटाया जाए।

2. संसदीय गरिमा बनाए रखने हेतु संबंधित सांसद के विरुद्ध नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।

3. भविष्य में किसी भी ऐतिहासिक महापुरुष या समुदाय के आराध्य व्यक्तियों पर तथ्यहीन वक्तव्य को रोकने हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

4. सांसद से समाज एवं राष्ट्र की भावनाओं का सम्मान करते हुए सार्वजनिक क्षमा-याचना कराई जाए।

ज्ञापन सौंपने वालों में कई सामाजिक, राजनीतिक व संगठनात्मक पदाधिकारी शामिल रहे, जिनमें ठाकुर प्रसाद अर्कवंशी, सुनील अर्कवंशी, भानू सिंह अर्कवंशी, यदुनाथ सिंह, सतीश कुमार शास्त्री, श्रीकांत सिंह अर्कवंशी, रामनरेश आर्य, राजीव सिंह, मनोज अर्कवंशी, नानक सिंह, राजीव सिंह, आनंद कुमार, संजय अर्कवंशी, गोविंद सिंह, सौरभ सिंह, एडवोकेट संतोष सिंह, विजयवर्द्धन अर्कवंशी सहित अन्य पदाधिकारी शामिल थे।

संगठन ने विश्वास व्यक्त किया कि लोकसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप से संसदीय परंपराओं की प्रतिष्ठा सुरक्षित रहेगी और समाज में सौहार्द व सम्मान की भावना सुदृढ़ होगी।

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