आस्था का केंद्र है प्राचीन सती माता मंदिर
सीतापुर। कस्बे में बना प्राचीन सती माता मंदिर क्षेत्र के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बिंदु है. प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु माथा टेक कर हाजिरी लगाते हैं.
सच्ची घटना – विदित हो आज के लगभग 95साल पहले गोंडा जिले के बेवंदा गांव की मुशरी देवी का विवाह शाह जलालपुर के ठाकुर मिट्ठू सिंह के साथ हुआ था जानकारों का कहना है खूब खुशियां मनाई गई. फिर एक दिन आज के 75 साल पहले 13 सितंबर 1947 को एक दुर्घटना में मिट्ठू सिंह की मौत हो गई, पूरे गांव में मातम का माहौल हो गया. तब मुसरी देवी ने अपने पति के साथ सती होने का फैसला किया. फिर प्रशासन ने बहुत समझाया कि आप ऐसा ना करें लेकिन उन्होंने किसी की एक न सुनी और पति की चिता पर बैठकर अग्नि देवता का ध्यान किया, जानकार बताते हैं स्वता अग्नि प्रकट हुई और माता सती हो गई.
गांव के रामसहाय माता की सेवा में जुट गए. फिर धीरे-धीरे माता के प्रति लोगों की आस्था जगी ,लोगों की मनोकामनाएं पूरी होने लगी
अक्टूबर 1966 में सती मंदिर कमेटी का गठन हुआ जिसके अध्यक्ष रामनारायण सिंह बनाए गए ,बैजनाथ सिंह, स्व०मुंशी प्रसाद गुप्ता ,जय किशोर गुप्ता, ईश्वरदीन यादव ,सूर्य प्रकाश, श्रीराम, भरोसे चौधरी , स्व० मुल्लू चौधरी आदि लोगों के सहयोग से मंदिर निर्माण शुरू कराया गया तब से आज तक सती मंदिर क्षेत्र के लोगों काआस्था का केंद्र बना हुआ है.
मंदिर की देखरेख करने वाली पुजारीन सुमिरता ने बताया 75 वर्षों से मैं और मेरे पति राम सहाय मंदिर की देखरेख व पुजा करते आ रहे हैं. मेरे पति के देहांत के बाद मैं अकेले मंदिर की देखरेख करती हूं. मंदिर में आए चढ़ावे व माता की कृपा से मेरा खर्चा चलता है. मंदिर बदहाल होता जा रहा है मरम्मत हो जाए आस्था व प्राकृतिक के साथ साथ सौंदर्य कभी केंद्र बन सकता है.
श्रद्धालुउमेश कुमार ने बताया मंदिर पर प्रतिदिन श्रद्धालु मुंडन इत्यादि कराने आते हैं माता से मांगी हुई मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं.
सती मंदिर कमेटी के अध्यक्ष रामनारायण सिंह ने बताया क्षेत्रवासी व ग्राम वासियों के सहयोग से मंदिर निर्माण कराया गया था क्षेत्र के लोगों का विश्वास है कि यहां पर जो भी मन्नत मांगी जाती है वह अवश्य पूरी होती है माता का आशीर्वाद भी है कि वह मन्नते जरूर पूरी होती है.
श्रद्धालु राजेश सिंह ने बताया मंदिर की देखरेख इस समय मेरे दायित्व पर है चैत्र नवरात्रि में यज्ञ व अश्वनी माह के नवरात्रि में चंडी हवन होता है.
रामबालक राजवंशी ने बताया समय-समय पर मंदिर परिसर में रामायण , धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं श्रद्धालुओं का आना जाना रहता है.