2022 में अखिलेश यादव बनेंगे मुख्यमंत्री: ओमप्रकाश राजभर
लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर(Omprakash Rajbhar) ने अपनी पार्टी के 19वें स्थापना दिवस के अवसर पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) को अपने मंच पर बुलाकर आगामी विधानसभा चुनाव में छोटे बड़े दलों के गठबंधन को मंच मुहैया कराने की कोशिश की है.


इस दौरान ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि वह भावी सीएम को आप के सामने लेकर आए हैं. उन्होंने कहा कि वह समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) के साथ रैली में ओपी राजभर ने कहा कि बंगाल में ‘खेला होबे’ हुआ था तो यूपी में ‘खदेड़ा होबे’. राजभर ने कहा कि 2022 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनेंगे.
यूपी की जनता महंगाई से निजा चाहती है निजात : ओमप्रकाश राजभर
उन्होंने कहा कि सरकार बनी तो घरेलू बिजली का बिल 5 साल तक माफ किया जाएगा. ओपी राजभर ने आगे कहा कि यूपी के लोग बीजेपी की विदाई के इंतजार में हैं. राजभर ने लोगों से कहा कि जब नेता वोट मांगने आए तो महंगाई पर सवाल करें. यूपी की जनता महंगाई से निजात चाहती है. राजभर ने एक के बाद एक कई वादे भी किए.


उन्हाेंने कहा कि अखिलेश सरकार बनने पर गरीबों का फ्री इलाज, गरीबों का फ्री में इलाज का कानून पास कराएंगे.पुलिस विभाग की ड्यूटी 8 घंटे की करेंगे. गृह जिलों के पास पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी, सभी पुरानी सरकारी पेंशन बहाल कराएंगे. सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधा देंगे. पूरे उत्तर प्रदेश को शिक्षित करने का लक्ष्य,जो बच्चों को स्कूल नहीं भेजेगा उनको जेल भेजेंगे.

अखिलेश यादव ने कहा कि सपना दिखाया की चप्पल पहनने वाला हवाई जहाज में चलेगा. आज महंगाई के कारण चप्पल पहनने वाले व्यक्ति की मोटरसाइकिल भी चल नहीं पा रही है. आज पेट्रोल की कीमत क्या है? क्या हालत कर दी जनता की. अखिलेश यादव ने कहा जब कोरोना जैसी महामारी आई तब सरकार ने बेसहारा छोड़ दिया, सरकार ने मदद नहीं की.
छोटे राजनीतिक दलों के लिए मऊ राजनीति का मक्का
छोटे राजनीतिक दलों के लिए ‘राजनीति का मक्का’ माने जाने वाले मऊ में गुरुवार को राजभर ने अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित जनसभा को भाजपा के खिलाफ छोटे दलों को लामबंद करने के लिये महापंचायत का नाम दिया है. आगामी विधानसभा चुनाव के महज कुछ माह पूर्व इस बड़े राजनीतिक घटना चक्र को राजनीतिक वश्लिेषक उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा सियासी कदम बता रहे हैं. जानकारों का मानना है कि राजभर की कोशिश इस महापंचायत को विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़े गठबंधन का मंच बनाना है. जानकारों की राय में राजभर ने इतना महत्वपूर्ण कार्यक्रम सूबे की राजधानी लखनऊ में आयोजित न कर मऊ में करने के पीछे वजह यही है कि मऊ पूर्वांचल की ऐसी धरती है जिसे छोटे व नवगठित राजनीतिक पार्टियों का “मक्का” कहा जाता है.
गौरतलब हो कि सुभासपा, जनवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनवादी क्रांति दल सहित दर्जनभर से अधिक छोटी क्षेत्रीय पार्टियों की स्थापना मऊ में ही हुई है. पूर्वांचल के बिहार से सटे उत्तर प्रदेश मऊ गाजीपुर, आजमगढ़, बलिया, देवरिया इत्यादि जनपदों का केंद्र बिंदु माना जाता है. खास बात यह कि इन जनपदों में अति पिछड़ी जातियों में शुमार राजभर, चौहान, नोनिया, पासी, वनवासी, कोइरी, कोहार, गोंड, धरकार, कुशवाहा इत्यादि की मिश्रित आबादी पाई जाती है.

महापंचायत में सुभासपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव अर्विन्द राजभर, राष्ट्रीय महासचिव अरून राजभर, महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष राधिका पटेल, प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह अर्कवंशी, बुंदेलखंड अध्यक्ष कुवंर गुलाब सिंह खंगार, सहित सुभासपा के लाखों की संख्या में पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे.
महापंचायत का ओवैसी को निमंत्रण नहीं
भागीदारी संकल्प मोर्चा के संयोजक और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असद्उद्दीन ओवैसी 27 अक्तूबर को मऊ में होने वाले राजभर के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. इस बारे में एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने बताया इस बारे में एआईएमआईएम नेतृत्व को कोई जानकारी नहीं दी गई है. न ही इस कार्यक्रम के बारे में उनकी पार्टी के किसी नेता को आमंत्रित ही किया गया है. शौकत अली ने बताया कि पार्टी के प्रमुख ओवैसी बुधवार को मुजफ्फरनगर में शोषित वंचित समाज के सम्मेलन में शामिल होंगे.