फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत जिले में बनाई जाएंगी 12,000 ब्लड स्लाइड
सीतापुर। जिले में राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत कुल 12,000 लोगों के रक्त का नमूने लिए जाने है. यह अभियान आगामी 20 सितंबर तक चलेगा. सीएमओ डॉ. मधु गैराेला ने बताया कि इस अभियान के तहत फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए गांवों में शिविर लगाकर स्लाइड बनाई जा रही है. इसको जांच के लिए पहले संबंधित सीएचसी की प्रयोगशाला को और फिर राज्य स्तरीय प्रयोगशाला को भेजा जा रहा है. जांच में मरीज के संक्रमण का पता चलने पर उसका उपचार शुरू किया जाता है.
सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर फाइलेरिया का उपचार पूरी तरह से नि:शुल्क है. डिप्टी सीएमओ (वीबीडी) डॉ. राज शेखर ने बताया कि फाइलेरिया के परजीवी (माइक्रो फाइलेरिया) रात के समय खून में अधिक सक्रिय होते हैं. इसलिए अभियान के तहत रात आठ बजे से 12 बजे तक संबंधित आशा कार्यकर्ता के सहयोग से लोगों रक्त के नमूने लिए जा रहे हैं. नमूना लेने के बाद इसकी रक्त पट्टिका बनाई जाती है और फिर उसकी प्रयोगशाला में जांच की जाती है.
फाइलेरिया के लक्षण
जिला मलेरिया अधिकारी राज कुमार सारस्वत ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं. अचानक बुखार आना (आमतौर पर बुखार 2-3 दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, स्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन होना, पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आना फाइलेरिया के लक्षण हैं.
ऐसे करें बचाव
फाइलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है और मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें. घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें. सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहने और मच्छरदानी का प्रयोग करें. यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं. स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है. विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार निशुल्क होता है. इसलिए लक्षण नजर आते ही सीधे सरकारी अस्पताल जाएं.